राज्य में सरकारी विभागों, निगमों, निकायों, परिवहन निगम, विभाग, स्वायत्त संस्थाओं के 5500 वाहन एक अप्रैल से कबाड़ बन जाएंगे। इन वाहनों की आरसी का नवीनीकरण नहीं होगा। अप्रैल से केंद्र और राज्य सरकारों के स्वामित्व वाले सभी वाहन, जिनमें परिवहन निगमों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के स्वामित्व वाली बसें शामिल हैं, जो 15 वर्ष से अधिक पुराने हैं, उनका पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा।
राज्यों के लिए ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने राज्यों के लिए ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया है। इसके तहत केंद्र और राज्य सरकारों के सभी 15 साल पुराने वाहनों को स्क्रैप करना होगा। पुराने वाहनों के लिए व्यवस्था यह है कि इन्हें नीलाम किया जाता है। इसके बाद खरीदार इन वाहनों को दुरुस्त कर नए सिरे से पांच साल के लिए पंजीकरण कर इनका संचालन करने लगते हैं।
सामान्य कबाड़ी नहीं खरीद पाएंगे वाहन
नए परिवहन एक्ट के तहत सड़कों पर दौड़ने वाले 15 साल पुराने सरकारी वाहन एक अप्रैल से कबाड़ हो जाएंगे। अब 15 साल से पुराने वाहनों की नीलामी नहीं की जाएगी बल्कि उन्हें स्क्रैप (कबाड़) किया जाएगा। इसके लिए विभाग परिवहन विभाग की वेबसाइट के माध्यम से अपने वाहनों की स्क्रैप नीलामी कर सकेंगे। यही नहीं सरकारी विभागों के नीलाम होने वाले वाहनों को अब सामान्य कबाड़ी नहीं खरीद पाएंगे। केवल रजिस्टर्ड स्क्रैपर (कबाड़ी) ही इन वाहनों को खरीद सकते हैं जो परिवहन विभाग की वेबसाइट पर रजिस्टर्ड होंगे।
आधिकारिक वेबसाइट पर कर सकेंगे आवेदन
उत्तराखंड सरकार के और अर्धसरकारी विभागों के अलावा रोडवेज के वाहनों को भी स्क्रैप किया जाना है। विभाग इसके लिए परिवहन विभाग की वेबसाइट के माध्यम से स्क्रैप नीलामी के लिए अप्लाई कर सकेगा। संभागीय परिवहन अधिकारी हल्द्वानी संदीप सैनी ने बताया कि आरवीएसएफ सेंटर के लिए सिंगल विंडो सिस्टम के माध्यम सेपोर्टल पर आवेदन-पत्र स्वीकार किए जा रहे हैं। सरकारी विभाग अपने वाहनों को बेचने के लिए आरवीएसएफ के लिए वेबसाइट www.nsws.gov.in पर आवेदन कर सकते हैं।
सरकार 550 करोड़ तक करेगी खर्च
बता दें कि केंद्र सरकार ने केंद्रीय मोटर यान (प्रथम संशोधन) नियम 2023 की अधिसूचना जारी कर दी है, जो कि एक अप्रैल 2023 से प्रभावी हो जाएगी। इसके दायरे में आने वाले वाहनों की जगह नए वाहन खरीदने या किराए पर वाहन लेने के लिये सरकार को 300 से 550 करोड़ खर्च करने पड़ेंगे।
उत्तराखंड ने दिया था सुझाव
दिसंबर माह में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने स्क्रैप पॉलिसी के तहत मोटर यान अधिनियम में संशोधन का ड्राफ्ट जारी करते हुए सभी राज्यों से सुझाव मांगे थे। उत्तराखंड ने जो सुझाव दिया था, उसमें बताया था कि 5500 वाहनों के कबाड़ में जाने के बजाय अगर उन्हें नीलाम किया जाए तो अपेक्षाकृत कम 11 करोड़ का नुकसान होगा। इसके अलावा दस लाख प्रति वाहन के हिसाब से देखें तो नए वाहन खरीदने को उत्तराखंड को 550 करोड़ की आवश्यकता होगी।इसके बाद राज्य में 15 साल से पुराने किसी भी सरकारी वाहन का नवीनीकरण नहीं होगा, बल्कि उसे कबाड़ में देना होगा, जिसके लिये हर जिले में तीन कबाड़ केंद्र बनाए जा रहे हैं।
स्क्रैप में जाएंगे वाहन
नई नीति के तहत एक अप्रैल से 15 साल से अधिक पुराने वाहनों का रिन्यूअल नहीं होगा। वह स्क्रैप में ही जाएंगे। 5500 वाहनों के कबाड़ बनने के बाद सभी विभागों को नए वाहन खरीदने होंगे। एक वाहन की औसत कीमत 10 लाख मानें तो राज्य को 550 करोड़ की जरूरत होगी। स्क्रैप पॉलिसी के तहत 1 अप्रैल, 2023 से सभी तरह के भारी व्यावसायिक वाहनों को अनिवार्य तौर पर फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा, जबकि प्राइवेट वाहनों के लिये यह व्यवस्था जून 2024 से लागू होगी।