उत्तराखंड के लिए इस समय बिजली संकट ने सरकार के हाथ पांव फूला दिए हैं। राज्य में इस साल कम बारिश और गैस से चलने वाले बिजली उत्पादन केंद्रों के बंद होने से राज्य में बिजली संकट गहराता ही जा रहा है। इस संकट से उबरने के लिए राज्य सरकार केंद्र से मदद मांग रहा है, जिसके लिए आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी केंद्रीय ऊर्जा मंत्री से मुलाकात करेंगे। सरकार को उम्मीद है कि इस बैठक में कोई हल जरूर निकलने वाला है जिससे उत्तराखंड में बिजली संकट से उबरने में मदद मिलेगी।
गैस से चलने वाले बिजली उत्पादन केंद्रों से उम्मीद
अभी भी राज्य में बिजली उत्पादन और सेंट्रल पूल कोटे की बिजली को मिला दिया जाए तब भी राज्य में 20 हजार यूनिट की कमी पड़ रही है। ऐसे में राज्य को नजर उन बंद पड़े उत्पादन केंद्रों पर हैं, जो गैस की मदद से चलते हैं। सचिव ऊर्जा आर मीनाक्षी सुंदरम का कहना है कि अभी भी बिजली संकट लगातार बना हुआ है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बिजली संकट से उबरने के लिए राज्य में गैस आधारित विद्युत प्लांट पर काम कर रही है लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गैस के रेट अभी ज्यादा है। उम्मीद है कि जल्द गैस के रेट कम होंगे और विद्युत उत्पादन की सप्लाई कर सकेंगे।
बंद पड़ी विद्युत परियोजनाओं को किया जाएगा शुरू
उत्तराखंड राज्य में बिजली संकट से मिलने के लिए सरकार की तरफ से तेजी से काम किए जा रहे हैं, जिसके लिए कई बंद पड़ी विद्युत परियोजनाओं को शुरू करने का काम भी किया जा रहा है। इसी क्रम में राज्य में बंद पड़ी 300 मेगावाट की लखवाड़ विद्युत परियोजना का काम शुरू हो चुका है। सचिव ऊर्जा आर मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि भागीरथी इको सेंसटिव ज़ोन की वजह से पूरे भागीरथी नदी और घाटी में जल विद्युत परियोजनाओं पर रोक लगी हुई है। ऊर्जा सचिव का कहना है कि इन सभी रुकी हुई परियोजनाओं को जारी करने संबंधित महत्वपूर्ण बैठक भारत सरकार से होनी थी जो जोशीमठ त्रासदी के चलते कैंसिल हो गई थी। जिसके बाद से एनटीपीसी जैसी महत्वपूर्ण योजना पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
जल विद्युत परियोजना को न ठहराए जिम्मेदार
ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम का कहना है कि वह लोगों से इस मामले में अपील करना चाहते हैं कि किसी भी तरह की कोई घटना होती है तो उसके लिए जल विद्युत परियोजना को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है क्योंकि इसी की वजह से राज्य में बिजली संकट पैदा हो जाता है।