कर्ज के बोझ तले लगातार डूब रही सरकार, अगले वित्तीय वर्ष में इतना बढ़ेगा भार

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आगामी वित्तीय वर्ष समाप्ति पर होगा तो राज्य पर 77 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज हो चुका होगा। यानी यह बुधवार को पेश हुए बजट के तकरीबन बराबर होगा। सदन पटल पर पेश सरकार के वार्षिक वित्तीय विवरण से यह खुलासा हुआ है। 31 मार्च 2023 तक राज्य पर कर्ज 68844 करोड़ होने का अनुमान लगाया गया है।

केंद्र से लेनी होगी मदद

सरकार अलगे तीन सालों  में राज्य को देश का अग्रणी राज्य बनाने के प्रयास कर रही है। लेकिन इसके लिए सरकार को कर्ज के बोझ को कम करने पर विशेष फोकस करने की जरूरत है। सरकार राज्य में सड़क, रोपवे और हवाई कनेक्टिविटी पर फोकस कर रही है। लेकिन इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उसे केंद्र से 20893 करोड़ की जरूरत होगी। साथ ही राजस्व और पूंजीगत खर्चों को पूरा करने के लिए सरकार करीब 19460 करोड़ रुपये कर्ज लेगी। इसमें लोक ऋण का हिस्सा 18 हजार करोड़ से अधिक का है।

कर्मचारियों के वेतन-पेंशन पर 26 हजार करोड़ खर्च होंगे

सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन-भत्तों व पेंशन के लिए धनराशि जुटाने की है। एक साल में अकेले वेतन पर ही 18 हजार करोड़ और पेंशन पर 7601 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यानी सरकार को 26 हजार करोड़ से अधिक राशि इन मदों के लिए जुटानी होगी। सरकार की आमदनी में से 11,525 करोड़ रुपये पुराने कर्ज की किस्त लौटाने और 6166 करोड़ वर्षों से लगातार लिए जा रहे कर्ज का ब्याज चुकाने पर खर्च करने होंगे।

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