देश की हर पंचायत में सहकारी मंडली बनाई जाएगी। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि केंद्र सरकार ने देश की हर पंचायत में कोऑपरेटिव सेवा सहकारी सोसाइटी के गठन की योजना बनायी है। यह एक ऐसी को-ऑपरेटिव सोसाइटी होगी, जो पैक्स, डेयरी और मत्स्य उत्पादन सोसाइटी, तीनों एक ही प्रकार की सोसायटी के रूप में रजिस्टर्ड होगी। सरकार ऐसी व्यवस्था कर रही है।
अमित शाह ने कहा कि सहकारिता से ही किसानों को कई प्रकार के लाभ मिल सकते हैं। भारत सरकार की सभी योजनाएं सहकारिता का मजबूत स्ट्रक्चर होने से आप सभी तक पहुंचनी शुरू हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आने वाले दस साल में देश के किसानों की आय को दोगुना नहीं, बल्कि अनेक गुना बढ़ाने के प्रति कटिबद्ध है। कृषि क्षेत्र में भी पीएम मोदी ने कई नई शुरूआत की हैं, जैसे, एफपीओ, कृषि सिंचाई योजना, एमसपी पर सबसे ज्यादा खरीदी और नये सहकारिता मंत्रालय के माध्यम से देश के किसान को समृद्ध बनाया है।
प्राकृतिक खेती ही हमारा भविष्य
अपने सम्बोधन में अमित शाह ने कहा कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए तीन राष्ट्रीय स्तर की बहुराज्यीय कोऑपरेटिव सोसायटी की स्थापना की है। इन तीन सोसायटी में से दो गुजरात के किसानों के लिए बहुत उपयोगी है। इनमें से एक सोसायटी के तहत प्राकृतिक कृषि करने वाले सभी किसानों के उत्पाद अमूल के पेटेंट के अंतर्गत लिए जाएंगे और उसका लाभ सीधा किसान के बैंक खाते में ट्रांसफर हो जाएगा। इस व्यवस्था के पूर्ण रूप से लागू होने के बाद हम अपनी भूमि को यूरिया और डीएपी के उपयोग से और अपने शरीर को इनके उपयोग से होने वाली कैंसर जैसी बीमारी से बचा पाएंगे, जलस्तर ऊपर आएगा और पर्यावरण भी बचेगा। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित सभी किसानों से आग्रह किया कि वे प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों से मुलाकात करें और इसे अपनाएं।
25 साल बाद कंक्रीट जैसी हो जाएगी धरती
उन्होंने कहा कि जो किसान प्राकृतिक खेती में लगे हैं, उन्हें अपनी पैदावार के अच्छे दाम मिलेंगे। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती आने वाले दिनों में धरती माता की सेवा करने का एकमात्र विकल्प बचेगा क्योंकि लगातार डीएपी और यूरिया का उपयोग होने से 25 साल बाद यह धरती कंक्रीट जैसी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि केंचुए जैसे पॉजिटिव बैक्टीरिया को डीएपी और यूरिया खत्म कर देते हैं और जिनके खेत में पॉजिटिव बैक्टिरिया होते हैं, उनके खेत में कभी जीवाश्म की समस्या नहीं आती, किसी भी प्रकार के इनसेक्ट नहीं आते और किसी भी प्रकार के कीटनाशक के छिडक़ाव की जरूरत नहीं होती है।
प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को लाभ
उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज खेती जानते थे, लेकिन हम समझे कि यूरिया डालने से फसल बढ़ती है और ऐसा करने से हमारी धरती दूषित हो गई। अब लाखों किसान प्राकृतिक खेती को अपना रहे हैं और उन्हें इसका लाभ भी मिल रहा है। प्राकृतिक खेती करने से पैदावार बढ़ती है, वर्षा जल का संचय होता है, पेस्टीसाइड का उपयोग नहीं करना पड़ता और उत्पादन भी बढ़ता है, जिसके दाम भी बाजार में अच्छे मिलते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश में प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाने का अभियान चलाया है।
निर्यात सहकारी सोसाइटी की स्थापना
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार ने फसल उत्पाद के निर्यात के लिए भी एक कोऑपरेटिव सोसायटी की व्यवस्था की है, जिसके माध्यम से देश के किसी भी किसान के उत्पाद के निर्यात के लिए ये सोसायटी निर्यात भवन की तरह सेवा देगी और इसका लाभ सीधा किसान के बैंक खाते में आ जाएगा। यह व्यवस्था लागू होने से किसानों की समृद्धि बढ़ेगी।