नेपाली पीएम के. पी. ओली के सुर नरम पड़ने लगे हैं। चीन के इशारे पर काम करने वाले ओली का नेपाल में जबरदस्त विरोध हो रहा है। अपनी ही पार्टी में वह अलग-थलग पड़ गये है। देशव्यापी विरोध और पार्टी में जारी खींचतान के बीच ओली ने राष्ट्र के नाम संबोधन दिया। इस दौरान ओली ने कहा कि किसी भी पार्टी में चर्चाएं, सलाह और असहमति उसका अंदरूनी मामला है और यह नेताओं के बीच बातचीत से सुलझेगा। ओली पर आरोप है कि उनकी सरकार में चीनी दखल बढ़ रहा है। जो कि नेपाल की संप्रभुता के खिलाफ है।
नई दिल्ली/पिथौरागढ़ः नेपाल की सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में जारी खींचतान को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अंदरूनी मामला बताया है। राष्ट्र के नाम संबोधन में पीएम ओली ने कहा कि किसी भी पार्टी में चर्चाएं, सलाह और असहमति उसका अंदरूनी मामला है और यह नेताओं के बीच बातचीत से सुलझेगा। इसके लिए धैर्य और संयम रखने की जरूरत है। बता दें कि पार्टी के दूसरे चेयरमैन पुष्प कमल दहल प्रचंड और पीएम ओली में कुर्सी को लेकर जंग जारी है।
ओली-दहल, नहीं गल रही दाल
ओली और दहल के बीच हुई वार्ता में फैसला किया कि बुधवार को स्टैंडिंग कमिटी की बैठक की जाएगी। लेकिन बैठक को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया। पार्टी के सूत्र इसे दोनों नेताओं के बीच बातचीत की विफलता के तौर पर देखते हैं।दोनों नेताओं ने एक के बाद एक 6 बैठकें कीं। बावजूद उसके कोई ठोस नतीजा निकलता नहीं दिख रहा है।
- हाइलाइट्स
- नेपाल में सियासी संकट जारी, पीएम ओली का इस्तीफा देने से फिर इनकार
- ओली बोले- पार्टी में चर्चाएं, सलाह और असहमति उसका अंदरूनी मामला है और यह नेताओं के बीच बातचीत से सुलझेगा
- नेपाल में चीनी राजदूत के दखल का विरोध, लोगों ने किया प्रदर्शन
इस्तीफे से कम मंजूर नहीं
पीएम ओली और प्रचंड के समर्थक सड़कों पर हैं जिससे हालात सुधर नहीं रहे। काठमांडू में ओली समर्थकों ने कई प्रदर्शन किए जिसके बाद पूरे देश में रैलियां होने लगीं। हालात ऐसे हो गए कि सपतरी में दोनों समर्थक दल आमने-सामने आ गए। पार्टी नेताआं का कहना है कि पार्टी को टूटना नहीं चाहिए वरना जनता ठगा हुआ महसूस करेगी।
यही दलील ओली भी दे रहे हैं। उनका कहना है कि पार्टी उनसे जो कहेगी, वह करेंगे और अपना काम करने का तरीका बदल देंगे लेकिन इस्तीफा नहीं देंगे क्योंकि लोगों के बहुमत से वह पीएम बने हैं और पार्टी की अध्यक्षता भी चुने जाने के बाद मिली है। दूसरी ओर दहल, माधव नेपाल और बामदेव गौतम पार्टी और सरकार में बड़ी भूमिका चाह रहे हैं। उन्हें लगता है कि ओली अपने मन से काम करते हैं और सरकार के फैसलों में पार्टी से राय नहीं करते हैं। उनका कहना है कि नेपाल के लोकतंत्र में सरकार पार्टी चलाती है, एक शख्स नहीं।