वैश्विक महामारी कोविड-19 के बाद प्रदेश में बड़े पैमाने पर रिवर्स पलायन हुआ है। लोग गांव तो आये लेकिन उन्हें रोजगार की चिंता सताने लगी। राज्य सरकार ने लोगों की इस चिंता को महसूस किया, लिहाजा योजनाओं पर मंथन हुआ। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लोगों को गांव में ही स्वरोजगार देने की पहल की। इससे लोगों को स्वरोजगार तो मिलेगा साथ ही गांवों की आर्थिकी भी मजबूत होगी। सरकार ने स्वरोजगार पर फोकस करते हुए ‘मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना’ लांच की। इस योजना के अंतर्गत युवाओं के लिए कई स्कीमें हैं, जिन के जरिये उत्तराखंड के लोग अपने काम धंधे शुरू कर सकते हैं।
देहरादूनः कोरोना महामारी के बीच उत्तराखंड सरकार ने इच्छा शक्ति दिखाई और स्वरोजगार योजनाओं का लाभ लोगों को देना शुरू किया। ऐसा करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना। उत्तराखंड ने कोरोना महामारी के दौरान स्वरोजगार योजना को परवान चढ़ाया और लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा। सीएम स्वरोजगार योजना के तहत सरकार ने पहले दुधारू पशु वितरण योजना शुरू की और अब मिल्क बूथ योजना का शुभारम्भ कर दिया है। सीएम स्वरोजगार योजना के तहत इन दोनों महत्वकांक्षी योजनाओं को समय पर शुरू करने का श्रेय प्रदेश के सहकारिता एवं दुग्ध विकास मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत को जाता है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद डाॅ. धन सिंह रावत के कामों की तारीफ कर चुके हैं। दोनों की योजनाएं डाॅ. धन सिंह रावत के विभागों से जुड़ी है। तेजी से लोगों को स्वरोजगार देने में जुटे डाॅ रावत ने ‘आंचल मिल्क बूथ योजना’ का उद्घाटन कर इसे आत्मनिर्भरता का प्रतीक बताया।
सूबे में खुलेंगे 500 मिल्क बूथ
देहरादून के नालापानी चैक स्थित विद्युत उपकेंद्र के समीप प्रदेश के पहले आंचल मिल्क बूथ का दुग्ध विकास मंत्री डा. धन सिंह रावत ने उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होेंने कहा कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत प्रदेश में 500 आंचल मिल्क बूथ बनाए जायेंगे। उन्होने कहा कि सरकार की मंशा युवाआंे को रोजगार देना है। युवाओे को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ने स्वरोजगार पर फोकस किया है। प्रदेश के युवा स्वरोजगार के जरिये अपनी आर्थिकी को मजबूत कर सकते हैं।
- हाइलाइट्स
- उत्तराखंड सरकार का स्वरोजगार योजना पर फोकस
- मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में कई स्कीमें
- प्रदेश में स्थापित होंगे 500 आंचल मिल्क बूथ
- पहले आंचल मिल्क बूथ का दुग्ध विकास मंत्री ने किया उद्घाटन
- डाॅ. धन सिंह रावत हैं सूबे के दुग्ध विकास मत्री
- आंचल मिल्क बूथ पर से मिलेगा युवाओं को रोजगार
- मिल्क बूथ पर 25 फीसदी सब्सिडी देगी राज्य सरकार
- एक मिल्क बूथ की लागत तकरीबन 2 लाख
- आंचल मिल्क बूथ के लिए लोन देगा डेयरी विकास विभाग
युवाओं को मिलेगा रोजगार
दुग्ध विकास मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने आंचल मिल्क बूथ के उद्घाटन अवसर पर कहा कि डेयरी विकास विभाग की इस योजना से प्रदेश के करीब एक हजार बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा कि राज्य में स्वरोजगार की असीम सम्भावनाएं हैं। जिसे देखते हुए सरकार विभिन्न नई योजनाओं पर काम कर रही है। जल्द प्रदेश के युवाओं को स्वरोजगार से जुड़ी अन्य योजनाओं का भी लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा आत्मनिर्भर भारत का रास्ता स्वरोजगार से होकर गुजरता है।
क्या है योजना..?
दुग्ध विकास मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने बताया कि एक मिल्क बूथ की लागत दो लाख रूपये आयेगी। इस लागत के लिए दुग्ध विभाग 70 फीसदी लोन खुद देगा जबकि लागत का 10 फीसदी पैसा लाभार्थी खुद लगायेगा। इस लोन पर 20 फीसदी राशि की सब्सिडी विभाग द्वारा दी जायेगा। लाभार्थी को पांच वर्ष तक प्रतिमाह ढाई हजार रूपये की किश्त देनी होगी।
यह सुविधा देगा विभाग
मिल्क बूथ के लिये विभाग खुद से डीप क्रीजर, विजुअल कूलर (ग्लास फीज) देगा। डेरी विभाग आंचल के जरिये दूध, दही, घी, पनीर, छोई, मठ्ठा, मक्खन, क्रीम सहित तमाम डेरी उत्पाद का सप्लाई करेगा। विभाग दूध पर प्रतिकिलो चार रूपये, दही पर छह, पनीर पर 25, घी और चीज पर 50-50 जबकि फ्लेवर्ड मिल्क पर पांच रूपये प्रति बोतल का लाभ मिलेगा। बूथ में डेरी उत्पादों के साथ देहरादून शहर की नामी बेकरियों के उत्पाद व आइसक्रीम भी बेची जायेगी। इसके लिए विभाग ने बेकरी के साथ करार कर रहा है। पहाड़ों से महिला स्वयं सहायता समूहों से ली जाने वाली आर्गेनिक दालों की भी बिक्री कर सकेंगे।
15 जुलाई तक होंगे आवेदन
आंचल दुग्ध संघ के जीएम मान सिंह पाल ने बताया कि आंचल मिल्क बूथ खोलने के लिए आवेदन करना होगा। जिसकी अंतिम तिथि 15 जुलाई है। आवेदन पत्र दुग्ध संघ कार्यालय से निःशुल्क मिलेगा। इस योजना का लाभ दुग्ध सहकारी समिति के सदस्यों को प्रदान किया जायेगा। जो व्यक्ति वर्तमान में दुग्ध सहकारी समिति का सदस्य न हो और वह सदस्य बनना चाहता है, तो वह समिति का सदस्य बन कर योजना का लाभ उठा सकता है।