मित्र मिलनः सिंधिया से मिले पायलट, ट्वीट से मची कांग्रेस में खलबली

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कांग्रेस के दो पुराने मित्रों के मिलन के बाद देश का सियासी तापमान कुलांछे भर रहा है। बदली परिस्थिति में एक मित्र भगवा ब्रिगेड का दामन थाम चुका है तो दूसरा कांग्रेस के डूबते जहाज का पंछी है, जो नए ठौर की तलाश में बताया जाता रहा है। देश की राजनीति में दोनों मित्रों के मिलाप को इसी नजरिये देखा जा रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट की मुलाकात दिल्ली में ऐसे समय हुई जब राजस्थान में राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल है। जिसके बाद इस मुलाकात ने कांग्रेस की टेंशन को बढ़ा दिया है। दोनों में से किसी नेता ने भले ही अब तक मुलाकात की पुष्टि नहीं की, लेकिन सिंधिया ने एक ट्वीट के जरिए पायलट के प्रति हमदर्दी जता कर कांग्रेस में खलबली मचा दी।

जयपुरः राजस्थान में सत्ता के लिए जारी संघर्ष के बीच ‘नाराज’ सचिन पायलट ने अपने पुराने दोस्त ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक रविवार को दोनों नेता करीब 40 मिनट के लिए मिले। हालांकि, दोनों में से किसी ने मुलाकात की पुष्टि तो नहीं की। लेकिन इसके बाद सिंधिया ने ट्वीट कर अपने मित्र के लिए हमदर्दी जताई। इसी बहाने उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के नेतृत्व पर निशाना भी साधा। सिंधिया ने ट्वीट कर कहा है कि उन्हें अपने दोस्त की हालत पर तरस आ रहा है। पायलट को सीएम गहलोत दबाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे पता चलता है कि कांग्रेस में टैलेंट और क्षमता का कोई महत्व नहीं है।

  • हाइलाइट्स
  • दिल्ली में ज्योतिरादित्य सिंधिया से मिले सचिन पायलट
  • सूत्रों के मुताबिक रविवार को हुई दोनों की मुलाकात
  • राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट पार्टी से नाराज
  • राजस्थान में पिछले कई दिनों से राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल

समर्थकों के साथ दिल्ली में सचिन
दिल्ली में दोनों की कथित मुलाकात कांग्रेस की चिंता बढ़ाने वाली है। पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली में हैं और कांग्रेस आलाकमान से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक राजस्थान के करीब 40 कांग्रेस विधायक सीएम गहलोत के संपर्क में नहीं हैं। पीटीआई के मुताबिक पायलट ने रविवार को 30 विधायकों के समर्थन का दावा किया और कहा है कि राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार अल्पमत में आ चुकी है। यह भी जानकारी मिली है कि राज्य के 13 निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी से संपर्क साधा है। इधर, गहलोत ने रविवार रात 9 बजे अपने मंत्रियों-विधायकों की बैठक बुलाई है। मुख्यमंत्री अभी भी विधायकों के साथ अनौपचारिक बैठकें कर रहे हैं।

कांग्रेस का दावा कोई गुटबाजी नहीं
कांग्रेसी नेताओं का दावा है कि प्रदेश में कोई गुटबाजी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा है कि पार्टी के अधिकांश विधायक गहलोत के संपर्क में हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि कांग्रेस की सरकार गहरे संकट में है। ऐसे में सिंधिया के साथ पायलट की मुलाकात कांग्रेस के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है। करीब 4 महीने पहले इसी तरह सिंधिया के समर्थक विधायकों ने बेंगलुरू में डेरा डाल लिया था और मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई थी। डर इस बात का है कि कहीं दो दोस्तों की यह मुलाकात राजस्थान में भी सरकार का वहीं हश्र न कर दे जो मध्य प्रदेश में हुआ। अगर ऐसा हुआ तो भाजपा का कांग्रेस मुक्त भारत के सपने की ओर अग्रसर होती नजर आयेगी।

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