ऊखीमठ। पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विश्व विख्यात भगवान मद्महेश्वर के कपाट खोलने की की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कपाट खोलने की प्रक्रिया के अवसर पर स्थानीय ग्रामीणों ने भगवान मद्महेश्वर को नये अनाज का भोग अर्पित कर विश्व समृद्धि व आगामी ग्रीष्मकालीन यात्रा के निर्विघ्न संपन्न होने की कामना की। 20 मई को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर से कैलाश के लिए रवाना होगी। विभिन्न यात्रा पड़ावों पर भक्तों को आशीष देते हुए 22 मई को मदमहेश्वर धाम पहुंचेगी। भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के धाम पहुंचने पर भगवान मद्महेश्वर के कपाट वेद ऋचाओं व विधि-विधान से ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जाएंगे।
ओंकारेश्वर मन्दिर के प्रधान पुजारी शिव शंकर लिंग ने बताया भगवान मद्महेश्वर के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में ब्रह्म बेला पर नित्य पूजा कर भगवान मद्महेश्वर भगवान ओंकारेश्वर सहित तैंतीस कोटि देवी-देवताओं का आहवान किया गया। 9.30 मिनट पर रावल भीमाशंकर लिंग ने दान सहित अन्य परम्पराओं का निर्वहन किया। 10.30 मिनट पर भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों को सभा मण्डप में विराजमान किया जाएगा।
बता दें कि भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली 20 मई को अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर से धाम के लिए रवाना होगी। डोली विभिन्न यात्रा पड़ावों पर भक्तों को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मंदिर रांसी पहुंचेगी। 21 मई को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मन्दिर रांसी से रवाना होकर अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए गौंडार गांव पहुंचेगी। 22 मई को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के धाम पहुंचने पर सैकड़ों भक्तों की मौजूदगी में भगवान मद्महेश्वर के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जाएंगे।