दिल्ली में हुए श्रद्धा वालकर मर्डर केस जैसा ही मामला मुंबई से सामने आया है। मुंबई के मीरा रोड इलाके में रहने वाले एक शख्स ने अपनी लिव-इन पार्टनर की हत्या कर दी। बाद में, उसने महिला के शरीर को कुकर में पकाकर और मिक्सर में पीसकर उसके शरीर को ठिकाने लगाने की कोशिश की। पुलिस ने आरोपी 56 वर्षीय शख्स को गिरफ्तार कर लिया है। संदिग्ध की पहचान मनोज साहनी के रूप में की गई है, जो सरस्वती वैद्या के साथ बीते तीन साल से मीरा रोड स्थित आकाशगंगा अपार्टमेंट में किराए के मकान में रह रहा था।
बता दें कि, पुलिस को दिए बयान में आरोपी ने बताया है कि महिला ने दो दिन पहले जहर खा लिया था, जिसके चलते उसकी मौत हुई है। गला घोंटने और टॉर्चर से उसकी मृत्यु का लेना-देना नहीं है। वैसे, पुलिस को उसकी बताई बातों पर यकीन नहीं है जब पुलिस आरोपी के घर पहुंची तब पुलिस को कुकर में मांस बॉइल किया मिला। कुछ टुकड़े ठिकाने लगा चुका था।
2014 में हुई थी दोनों की मुलाकात
मृतका सरस्वती वैद्य अनाथ थी। आरोपी मनोज साने का बोरीवली में घर है। वहां उसके परिवार के दूसरे लोग रहते हैं। उसने शादी नहीं की थी और परिवार से अलग रहता था। वह राशनिंग की एक दुकान में काम करता था। दोनों की मुलाकात 2014 में राशन की दुकान में हुई थी। आरोपी के मुताबिक-29 मई को राशन की दुकान बंद हो गई थी। अभी तक की जानकारी में 4 जून की सुबह वारदात हुई है। पांच साल से दोनो मीरा रोड में गीता नगर में रह रहे थे।
पड़ोसी ने दी थी पुलिस को सूचना
बता दें कि मीरा रोड की गीता आकाश दीप बिल्डिंग के सोमेश श्रीवास्तव ने ही सबसे पहले घर से दुर्गंध आन की शिकायत की थी और दूसरे विवेक श्रीवास्तव हैं, जो ठीक बगल के मकान में रहते हैं। ये वारदात मुंबई से सटे मीरा रोड के गीता नगर में गीताआकाश दीप सोसाइटी की 7वीं मंजिल पर फ्लैट नंबर 704 में हुई। फ्लैट 704 के ठीक सामने के फ्लैट में रहने वाले सोमेश श्रीवास्तव ने सबसे पहले बदबू आने पर फ्लैट का दरवाजा खटखटा, लेकिन दरवाजा खुला नहीं। एक बार उन्होंने घर में से स्प्रे छिड़कने की आवाज सुनी थी।
बुधवार को आरोपी मनोज सोमेश को नीचे मिले तब उसने उन्हें बदबू आने की बात बताई तब मनोज ने कहा कि बाहर से आकर चेक करता हूं, लेकिन तब तक सोसायटी ने पुलिस को खबर कर दी। पुलिस ने जब घर खोल कर देखा तो बेड पर काला प्लास्टिक पड़ा हुआ था और किचन में तीन बाल्टी में शव के टुकड़े रखे गए थे, लेकिन उसमें भी टुकड़े किस अंग के थे ये पहचान पाना मुश्किल था।