देहरादूनः चारधाम देवस्थानम एक्ट मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को बड़ी राहत दी है। भाजपा नेता और राज्य सभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने देवस्थानम एक्ट के खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए स्वामी की याचिका खारिज की और देवस्थानम अधिनियम को संवैधानिक ठहराया।
स्वामी को झटका
उत्तराखंड सरकार ने चारधाम सहित अन्य मंदिरों के संचालन के लिए देवस्थानम बार्ड का गठन किया। लेकिन कुछ लोगों ने सरकार के इस फैसले पर ऐतराज जताया और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी से इसके खिलाफ कानूनी सहयोग मांगा। सुब्रह्मण्यम स्वामी ने देवस्थानम एक्ट के खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट में यह कह कर चुनौती दी थी कि प्रदेश सरकार की ओर से चारधाम और अन्य मंदिरों के प्रबंधन को लेकर लाया गया देवस्थानम बोर्ड एक्ट असांविधानिक है। लेकिन कोर्ट ने स्वामी की दलीलों को खारिज करते हुए फैसला सरकार के पक्ष में दिया। अदालत के फैसले के बाद स्वामी ने ट्वीट कर कहा कि वह इस मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
डबल बेंच ने दिया फैसला
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई के बाद 06 जुलाई को निर्णय सुरक्षित रख लिया था। मंगलवार को खंडपीठ ने निर्णय सुनाते हुए प्रदेश सरकार को बड़ी राहत देते हुए स्वामी की जनहित याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट इस प्रकरण पर 29 जून से प्रतिदिन सुनवाई कर रही थी।
सीएम बोले, सरकार की मंशा पर मुहर
हाईकोर्ट के फैसले के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया और कहा कि चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन दूरगामी विजन के साथ किया गया है। ऑल वेदर रोड/ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के बाद चारधाम में श्रद्धालुओं के बड़ी संख्या में आने की सम्भावना है। इसके लिए हमारी तैयारियां होनी चाहिए। तीर्थपुराहितों ने यहां की परम्पराओं का संरक्षण किया है, देवभूमि का मान बढ़ाया है, उनके हितों की रक्षा, हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। मुख्यमत्री ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड पर कोर्ट के फैसले को किसी की जीत हार से नहीं जोड़ें। राज्य गठन के बाद यह सबसे बड़ा सुधारात्मक कदम है,इस पर राजनीति न करें। उन्होंने कहा कि भविष्य की जरूरतों को देखते हुए चारधाम देवस्थानम बोर्ड की जरूरत पड़ी। चारधामों के प्रबंधन में सुधार,अवस्थापना विकास व धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बोर्ड कार्य करेगा। बोर्ड गठन में हमारी सरकार ने मान्यताओं और तीर्थपुरोहितों के हकहकूकों का पूरा ध्यान रखा है।