युद्ध की नौबतः मीटिंग के बाद भी पीछे नहीं हटा ड्रैगन, भारत निगरानी से लेकर युद्ध के लिए तैयार

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यह जगजाहिर है कि चीन कहता कुछ और करता कुछ। इस बार भी चीन अपने इसी एजेंडे पर काम कर रहा है। कोर कमांडर लेवल की बातचीत में पीछे हटने पर राजी होने के बाद भी उसके सैनिक कुछ जगहों पर डटे हैं। भारत ने भी चीन की विश्वसनीयता को ताक पर रखकर निगरानी प्रणाली को दुरुस्त करने से लेकर युद्ध तक की तैयारी तेज कर दी है। हालात अगर ऐसे रहे तो सीमा पर भारतीय सेना अपना पराक्रम दिखाने में गुरेज नहीं करेगी।

नई दिल्लीः सीमा पर जिस बात की आशंका थी, वही नजर आने लगी है। चीनी सैनिक बातचीत के दौरान सहमति जताकर भी पीछे हट नहीं रहे हैं। ऐसे में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हालात में कोई बदलाव नहीं आये है। 14 जुलाई को दोनों देशों की सेना के बीच कोर कमांडर स्तर की मीटिंग के बाद भी चीनी सैनिक उन जगहों से जरा भी पीछे नहीं गए हैं जहां से उनके पीछे जाने की बात हुई थी। सूत्रों के मुताबिक, 9 जुलाई के बाद से कोई मूवमेंट नहीं हुआ है और चीनी सैनिक जहां पर मौजूद थे, अब भी वहीं डटे हुए हैं।

  • हाइलाइट्स
  • LAC पर 9 जुलाई के बाद से हालात जस के तस बने हैं
  • कोर कमांडर मीटिंग में दिया गया 2 हफ्ते का वक्त
  • गुजर गया एक हफ्ता पर वहीं पर डटे हैं चीनी सैनिक
  • सेना को उम्मीद इस हफ्ते उठाए जा सकते हैं कुछ कदम
  • चीन के हर कदम का मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी तेज

गतिरोध खत्म करने के लिए पहले फेज के डिसइंगेजमेंट में गलवान एरिया में पीपी-14 और पीपी-15 में भी पूरा डिसइंगेजमेंट हो गया था। दोनों देशों के सैनिकर करीब एक से डेढ़ किलोमीटर पीछे हुए और वहां पर बफर जोन बना दिया ताकि दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने ना रहें। हालांकि हॉट स्प्रिंग एरिया में डिसइंगेजमेंट पूरा नहीं हो पाया और यहां पर चीनी सैनिक तय बातचीत के हिसाब से पीछे नहीं गए। पैंगोंग एरिया में फिंगर- 4 से चीनी सैनिक 9 जुलाई को फिंगर-5 तक चले गए।

थोडा और इंतजार
चौथी कोर कमांडर मीटिंग में चर्चा हुई कि सैनिक किस तरह पीछे जाएंगे लेकिन अभी तक उस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है। आर्मी के एक अधिकारी ने कहा कि मीटिंग में इसके लिए दो हफ्तों का वक्त तय किया गया था। अभी एक हफ्ता हुआ है। पहले फेज के डिसइंगेजमेंट में भी चीनी सैनिक आखिरी के कुछ दिनों में पीछे गए थे तो हम अभी यह उम्मीद कर सकते हैं कि इस हफ्ते चीनी सैनिक गतिरोध खत्म करने की दिशा में कुछ कदम बढ़ाएंगे। हालांकि आर्मी हर हालत से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।

युद्ध की आशंका, तैयारी पूरी
भारतीय सेना युद्ध की आशंका के मद्देनजर भी पूरी तैयारी कर रही है। अगले हफ्ते फ्रांस से राफेल की पहली खेप आ रही है। वहीं, नौसेना के युद्धक विमानों को भी एलएसी पर निगरानी के लिए रखा गया है। नौ सेना ने अमेरिकी विमानवाहक पोत यूएसएस निमित्ज के साथ बंगाल की खाड़ी में युद्धाभ्यास किया। इसी प्रकार का युद्धाभ्यास जापान और फ्रांस की नौसेनाओं के साथ भी हो चुका है। वहीं, 300 करोड़ रुपये तक की पूंजीगत खरीद के लिए तीनों सेनाओं को फंडिंग का विशेष अधिकार दे दिया गया है। साथ ही, डीआरडीओ में निर्मित ‘भारत’ ड्रोन के जरिए चीनी हरकतों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।

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