Chamoli Incident: डीएम को सौंपी मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट, ये हुआ खुलासा

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चमोली। चमोली करंट हादसा मामले में आज जांच अधिकारी डॉ. अभिषेक त्रिपाठी ने डीएम हिमांशु खुराना को मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट सौंप दी है। जांच में एसटीपी संचालन कर रही कंपनी को दोषी माना गया है। दरअसल,  बीती 19 जुलाई को चमोली स्थित एसटीपी प्लांट में करंट लगने की घटना से हुई 16 लोगों की मौत के बाद सीएम द्वारा बैठाई गई मजिस्ट्रियल जांच को डीएम हिमांशु खुराना ने अपर जिलाधिकारी डॉ. अभिषेक त्रिपाठी को सौंपी थी। जिसके बाद कई तथ्यों पर अध्ययन करने और घटना से जुड़े लोगों के बयानों के बाद आज जांच अधिकारी डॉ. अभिषेक त्रिपाठी द्वारा मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट डीएम हिमांशु खुराना को सौंपी गई है। रिपोर्ट में जांच अधिकारी ने एसटीपी संचालन कर रही कंपनी को घटना का दोषी ठहराते हुए जल संस्थान और विद्युत विभाग के अधिकारियों की भी लापरवाही बताते हुए विभागीय कार्रवाई की सिफ़ारिश की है।

39 बयानों के आधार पर सौंपी गई जांच रिपोर्ट

बता दें कि चमोली स्थित नमामि गंगे के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में करंट लगने से 16 लोगों की मौत और कुल 11 व्यक्तियों के घायल होने की पुष्टि हुई थी। मजिस्ट्रियल जांच अंर्तगत लिए गए 39 बयानों के आधार पर जांच अधिकारी ने आज रिपोर्ट तैयार कर डीएम को सौंप दी है। जिसमें दुर्घटना का विश्लेषण संभावित कारण और निष्कर्ष भी निकाला गया है।

मानकों के अनुरूप नहीं थी विद्युत सुरक्षा

रिपोर्ट में एसटीपी प्लांट की विद्युतीय व्यवस्था किए गए अनुबंध और विद्युत सुरक्षा के मानकों के अनुरूप न होना पाया गया। चेंज ओवर पैनल में शार्ट सर्किट हुआ और कंट्रोल पैनल एवं मैन पैनल में तीव्र अर्थ फॉल्ट हुआ। निर्धारित मार्ग में उचित अर्थिंग न मिलने पर अर्थ कनेक्शन से जुड़े मैटेलिंक स्ट्रक्चर, जिसमें प्लांट में प्रवेश हेतु निर्मित सीढ़ियां और रेलिंग में करंट फैल गया। इसी दौरान उपस्थित व्यक्ति, जो लोहे के स्ट्रक्चर रेलिंग जाली के संपर्क में थे, उन्हें करंट लगा और उनकी मौत हो गई, जबकि कई व्यक्ति घायल हो गए।

ये पाई गईं खामियां

विद्युत सुरक्षा विभाग की व्याख्या के अनुसार मीटर के बाद Mc Junction Box मय उचित क्षमता का MCCB लगा होना चाहिए था, जो की नहीं था। इसके स्थान पर चेंज ओवर का प्रयोग किया जा रहा था। STP परिसर पर अर्थिंग मानकों के अनुरूप नहीं पाई गई। अर्थिंग के लिए वैल्यू मानकों से अधिक पाई गई। ऐसी स्थिति में शार्ट सर्किट होने पर पूर्ण रूप से करंट की अर्थिंग न होकर STP के लोहे के स्ट्रक्चर और लोहे की रेलिंग में प्रवाहित हुई। अनुबंधित फर्म के द्वारा किए गए कार्यों के अनुश्रवण/समीक्षा का अभाव, विद्युत विभाग एवं जल संस्थान के कार्मिकों के मध्य आपसी सामंजस्य का अभाव दुर्घटना की तीव्रता बढ़ने कारण एसटीपी प्लांट पर पहुंचने वाले रास्ते का संकरा होना पाया गया।

जांच में इनको माना गया जिम्मेदार

जांच में दुर्घटना के लिए जिम्मेदार प्रतिष्ठान, विभाग और कार्मिकों का भी जिक्र किया गया है. जिसमें एसटीपी संचालन कर रही कंपनी Joint Venture Firm M/sJai Bhushan Malik Contractors, Patiala (Lead Partner) व M/s. Confident Engineering India Pvt. Ltd. Coimbatore के साथ उत्तराखंड पेयजल निगम/जल संस्थान के मध्य हुये अनुबंध का उल्लंघन होने के साथ साथ ज्वाइंट वेंचर फर्म Joint Venture Firm M/ sJai Bhushan Malik Contractors, Patiala (Lead Partner ) व M/s Confident Engineering India Pvt. Ltd. Coimbatore और विभाग के मध्य हुए अनुबंध के अनुरूप कार्मिकों की तैनाती न किया जाना शामिल है।

अभी तक चार लोगों की हुई गिरफ्तारी

कंपनी के क्षेत्रीय प्रबंधक जो कि इन दिनों ज़िला कारागार ने बंद हैं, भाष्कर महाजन, डायरेक्टर एक्सिस पावर कंट्रोल्स, दिल्ली व ज्वाइंट वेंचर फर्म के रूप में विभाग के साथ अनुबंध करने वाले जय भूषण मलिक M/s Jai Bhushan Malik Contractors, Patiala एवं रत्ना कुमार M/s Confident Engineering India Pvt. Ltd. Coimbatore द्वारा एक दूसरे पर दायित्व और जिम्मेदारियों के आरोप लगाने से ज्वाइंट वेंचर फर्म के द्वारा विभाग के साथ किए गए अनुबंध का स्पष्ट उल्लंघन होता पाया गया है। साथ ही भास्कर महाजन, डायरेक्टर एक्सिस पावर कंट्रोल्स, दिल्ली का ज्वाइंट वेंचर फर्म का अधिकृत व्यक्ति / कार्मिक न होते हुए भी कार्य करना एसटीपी के ऑपरेशंस और मेंटेनेंस के लिए जल संस्थान गोपेश्वर को प्रस्तुत बिलों का संदिग्ध होना सभी बिंदुओं पर जांच रिपोर्ट डीएम को सौंपी गई है। मामले में अभी कुल चार लोगों की गिरफ़्तारी चमोली पुलिस कर चुकी है, जबकि जांच रिपोर्ट के बाद अन्य लोगों पर भी गिरफ़्तारी और निलंबन की तलवार लटक सकती है।

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