बदलती जलवायु के कारण दुनियाभर के कई देश मौसम की मार झेल रहे हैं। कहीं बाढ़, तो कही बढ़ता तापमान देखा जा सकता है। इस बीच एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। कहा जा रहा है कि इस साल अंटार्कटिका में रिकॉर्ड तोड़ बर्फ पिघली है।
हर साल पिघलती है बर्फ
गौरतलब है, हर साल गर्मियों के दौरान फरवरी के अंत में अंटार्कटिका के समुद्र की बर्फ पिघल जाती है। फिर सर्दियों में वापस जम जाती है, लेकिन इस साल वैज्ञानिकों को कुछ अलग ही देखने को मिला है। समुद्री बर्फ अपेक्षित स्तर के आसपास भी नहीं जमी है।
45 सालों बाद बदलाव
बता दें, पिछले 45 सालों में यहां बहुत परिवर्तन देखा गया है। यह इतने वर्षों में पहली बार है, जब समुद्र की बर्फ इतने निचले स्तर पर है। पिछले कुछ समय में इसके धंसने की दर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। नेशनल स्नो एंड आइस डेटा सेंटर (एनएसआईडीसी) के आंकड़ों के अनुसार, बर्फ 2022 में पिछले शीतकालीन रिकॉर्ड निचले स्तर से लगभग 1.6 मिलियन वर्ग किलोमीटर (0.6 मिलियन वर्ग मील) कम है।
यह है इसका कारण
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यह चौंकाने वाली गिरावट एक संकेत है कि जलवायु संकट इस बर्फीले क्षेत्र को अधिक गंभीरता से प्रभावित कर सकता है। ग्लोबल वॉर्मिंग इसका सबसे बड़ा कारण है।
इतने बड़े क्षेत्र के बराबर पिघली बर्फ
इस साल जुलाई के मध्य में, अंटार्कटिका की समुद्री बर्फ 1981 से 2010 के औसत से 2.6 मिलियन वर्ग किलोमीटर (1 मिलियन वर्ग मील) कम थी। यह लगभग अर्जेंटीना या टेक्सास, कैलिफोर्निया, न्यू मैक्सिको, एरिजोना, नेवादा, यूटा और कोलोराडो के संयुक्त क्षेत्रों जितना बड़ा क्षेत्र है।
वैज्ञानिकों ने बताया असाधारण
इस घटना को कुछ वैज्ञानिकों ने असाधारण बताया है। उन्होंने कहा कि लाखों वर्षों बाद ऐसी घटना देखने को मिलती है। कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय के ग्लेशियोलॉजिस्ट टेड स्कैम्बोस ने कहा कि यह साधारण घटना नही है। मौसम लगातार बदल रहा है। खैर, वैज्ञानिक अब यह पता लगाने में लगे हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है। अंटार्कटिका में जलवायु संकट बढ़ने के कारण समुद्री बर्फ लगातार पिघलती जा रही है। अंटार्कटिका में समुद्री बर्फ पिछले कुछ दशकों में रिकॉर्ड ऊंचाई से रिकॉर्ड निचले स्तर तक पहुंच गई है, जिससे वैज्ञानिकों के लिए यह समझना कठिन हो गया है कि यह वैश्विक तापन के लिए किस तरह से प्रतिक्रिया दे रही है।