कुमायूं विश्वविद्यालय के 16वें दीक्षांत समारोह का मामला हाईकोर्ट पहुंचा है। उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका में विश्वविद्यालय प्रशासन पर वित्तीय अनियमितता का गंभीर आरोप लगाया गया है। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सचिव वित्त और उच्च शिक्षा सहित कई लोगों के तलब किया है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि विवि के दीक्षांत समारोह में सभागार की क्षमता एक हजार के अनुसार 1200 लोगों के भोजन की व्यवस्था का टेंडर था, मगर बिल में संख्या 1676 अंकित है। जो कि एक बड़े वित्तीय घोटाले की ओर इशारा कर रहा है।
नैनीतालः कुमाऊं विश्वविद्यालय के 16वे दीक्षांत समारोह में हुई वित्तीय अनियमिताओं के मामले में दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की। याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस मामले में उच्च शिक्षा सचिव, सचिव वित्त, रजिस्ट्रार कुमाऊं विवि, वित्त अधिकारी, डीएसबी परिसर निदेशक सहित हिमालयन टेंट हाउस, हर्ष टेंट हाउस हल्द्वानी, सम्राट टेंट हाउस रानीखेत सहित सरकार को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के आदेश दिये। इसके साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 अगस्त की तिथि नियत की है।
विवि अधिकारियों पर वित्तीय धांधली के आरोप
वरिष्ठ न्यायमूर्ति रवि कुमार मलिमथ एवं न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मामले की सुनवाई हुई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गोपाल सिंह बिष्ट ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और आरोप लगाया था कि विवि के अधिकारियों ने दीक्षांत समारोह के नाम जमकर धांधली की है। उन्होंने याचिका में आरोप लगाया कि विवि के सभागार की क्षमता एक हजार के अनुसार 1200 लोगों के भोजन की व्यवस्था का टेंडर था, मगर बिल में संख्या 1676 अंकित है।
अतिरिक्त बिल बनेगा फांस
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि दीक्षांत समारोह के लिए विश्वविद्यालय ने टेंडर जारी किया था। लेकिन जब विभिन्न कार्य के लिए भुगतान किया गया तो विवि अधिकारियों ने अतिरिक्त भुगतान की ऐवज में वित्तीय धांधली की। उन्होनंे कहा कि द कॉफी मशीन का 84 हजार अतिरिक्त बिल, पूरी व रूमाली रोटी का अतिरिक्त 90 हजार का बिल, दो लाख 70 हजार के सापेक्ष पांच लाख 55 हजार, बिजली बिल दो लाख 72 हजार अतिरिक्त, कुल दो लाख 27 हजार के सापेक्ष सात लाख 57 हजार के अतिरिक्त 15 लाख 34 हजार का बिल प्रस्तुत किया गया।
स्वतंत्र एजेंसी से जांच की मांग
याचिकाकर्ता ने कहा कि समारोह की व्यवस्थाओं पर किए गए खर्च पर विवि प्रशासन ने लाखों की अनियमितता कर जनता के पैसे का दुरूपयोग किया गया। याचिकाकर्ता ने मामले में बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ियों का हवाला देते हुए स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग है। साथ ही कोर्ट से मांग की गई है कि जिन लोगों ने सरकारी धन का दुरुपयोग कर धन लाभ लिया है, ऐसे सभी लोगों से रिकवरी की जाए और जिन जिन लोगों की मिलीभगत से धांधली हुई, उन सभी के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाए। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सभी पक्षकारों को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए।