आज 17 अगस्त गुरुवार को घी संक्रांति मनाई जा रही है। घी संक्रांति यानि सिंह संक्रांति का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है। जब सूर्य देव अपनी प्रिय राशि सिंह में प्रवेश करते हैं तब सिंह संक्रांति पर्व मनाया जाता है। उत्तराखंड में इस संक्रांति को घी संक्रांति या ओल्गी संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। ये संक्रांति मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मानी जाती है। इस दिन सूर्य भगवान की पूजा के साथ-साथ श्रीहरि विष्णु और भगवान नरसिंह की उपासना भी की जाती है। घी संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान करने और दान-पुण्य के कार्य करने का भी विशेष महत्व माना जाता है। साथ ही सूर्य कृपा से रूठी किस्मत भी चमक जाती है। घी संक्रांति पर लोग एक दूसरे को बधाई और शुभकामनाएं देते हैं।
क्या है घी संक्रांति का महत्व?
घी संक्रांति के दिन घी का सेवन करना शुभ फलदायी होता है। इससे बुद्धि तेज होती है और सेहत भी अच्छी होती है। इस दिन घी के उपयोग के कारण ही इसे घी संक्रांति के नाम से जानते हैं। कहा जाता है कि जो लोग घी संक्रांति पर घी नहीं खाते हैं तो उनका अगला जन्म घोंघे का होता है।
घी संक्रांति 2023 का शुभ मुहूर्त क्या है?
आज दोपहर सूर्य देव 01:44 बजे सिंह राशि में प्रवेश करेंगे, वह क्षण घी संक्रांति का होगा। लेकिन आज सुबह 06 बजकर 44 मिनट से स्नान, दान और पूजा पाठ प्रारंभ हो गया है। घी संक्रांति का पुण्यकाल सुबह 06:44 बजे से दोपहर 01:44 बजे तक और महापुण्य काल सुबह 11:33 बजे से दोपहर 01:44 बजे तक है।
मघा नक्षत्र और परिघ योग में घी संक्रांति
घी संक्रांति के दिन मघा नक्षत्र और परिघ योग है। मघा नक्षत्र सुबह से शाम 07:58 बजे तक है, वहीं परिघ योग प्रात:काल से लेकर शाम 07:30 पी एम तक रहेगा। आज सावन का शुक्ल पक्ष प्रारंभ हुआ है और आज प्रतिपदा तिथि है. आज का सूर्योदय सुबह 05:51 बजे हुआ है।