राष्ट्रीय फलक पर छाया उत्तराखंडी सिनेमा; फिल्म ‘एक था गांव’ और ‘पताल_ ती’ को मिला अवॉर्ड

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69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा हो चुकी है। इसमें उत्तराखंड की दो फिल्मों ने 69 नेशनल फिल्म अवार्ड अपने नाम किया है।  नॉन फीचर फिल्म कैटेगरी में उत्तराखंड की ‘एक था गांव’ और बेस्ट सिनेमैटोग्राफी के लिए ‘पताल_ ती’ को अवॉर्ड मिला है।  दोनों फिल्मों को अवार्ड दिलाकर ऋषिकेश की सृष्टि और बिट्टू रावत ने प्रदेश का नाम रोशन किया है।

बता दें कि सृष्टि लखेरा की फिल्म ‘एक था गांव’ को बेस्ट नॉन फीचर फिल्म का अवॉर्ड मिला है। सृष्टि ने इस फिल्म का प्रोडक्शन और निर्देशन किया है। उत्तराखंड में पलायन की पीड़ा को देखते हुए सृष्टि ने यह फिल्म बनाई। बताया, पहले उनके गांव में 40 परिवार रहते थे और अब पांच से सात लोग ही बचे हैं। लोगों को किसी न किसी मजबूरी से गांव छोड़ना पड़ा। इसी उलझन को उन्होंने एक घंटे की फिल्म के रूप में पेश किया है। फिल्म के दो मुख्य पात्र हैं। 80 वर्षीय लीला देवी और 19 वर्षीय किशोरी गोलू। कहा, बेटी ने परिवार के साथ उत्तराखंड का नाम रोशन किया है।

वहीं उत्तराखंड की फिल्म ‘पताल_ ती’ को बेस्ट सिनेमैटोग्राफी के लिए बिट्टू रावत को अवार्ड मिला है। दोनों फिल्में उत्तराखंड को राष्ट्रीय स्तर पर प्रेजेंट कर रही है जो उत्तराखंड के सिनेमा के लिए एक नई शुरुआत है और इसमें युवा अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। ये दोनों फिल्मे आने वाले समय में यहां के न्यू कमर फिल्म मेकर के लिये एक प्रेरणा का काम करेगी। इससे उम्मीद की जा रही है। आने वाले समय में उत्तराखंड भी अपनी पहचान राष्ट्रीय सिनेमा में बनाने लग जाएगा, जिसकी शुरुआत उत्तराखंड के युवा फिल्मकारों ने कर दी है।

 

 

 

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