उत्तराखंड में पहली बार पुलिस विभाग में नया प्रयोग हुआ है। डीजीपी अशोक कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद एडीजी अभिनव कुमार को कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया है। ऐसा पहली बार हुआ कि जब मित्र पुलिस की कमान किसी कार्यवाहक डीजीपी के हाथों सौंपी गई है। वर्ष 1996 बैच के आईपीएस अभिनव कुमार बृहस्पतिवार को वर्तमान जिम्मेदारियों के साथ डीजीपी उत्तराखंड का अतिरिक्त प्रभार ग्रहण किया। उनके पास इस वक्त मुख्यमंत्री के विशेष सचिव और एडीजी इंटेलीजेंस का भी चार्ज है।
अभिनव कुमार ने बताई प्राथमिकता
पुलिस महानिदेशक की जिम्मेदारी मिलने के तत्काल बाद अभिनव कुमार ने अपनी प्राथमिकता बताते हुए कहा कि उत्तराखंड अपेक्षाकृत शांत प्रदेश है। बेतहर कानून व्यवस्था प्रदेश की पहचान है, इसलिए कानून व्यवस्था के मोर्चे पर कोई रियायत नहीं बरती जाएगी। अभिनव कुमार ने कहा कि पुलिस फोर्स अपराधियों के प्रति सख्ती से पेश आएगी।
दूसरी तरफ आम लोगों के प्रति पुलिस ज्यादा मित्रवत व्यवहार करेगी। स्थानीय लोगों के साथ ही उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों, तीर्थयात्रियों के प्रति पुलिस एक सहयोगी के रूप में पेश आएगी। इसके अलावा रोजमर्रा के काम में भी पुलिस का मानवीय चेहरा सामने आएगा। अभिनव कुमार ने कहा कि वो पुलिस के संसाधन और सुविधा बढ़ाने के लिए भी प्रयास करेंगे। इसके लिए पहले से ही कई प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही पुलिस जांच, अभियोजन जैसी प्रक्रिया को ज्यादा प्रभावी बनाया जाएगा।
यूपीएससी ने डीजीपी के लिए किया था बदलाव
डीजीपी बनने के लिए जरूरी अर्हता के अनुसार प्रदेश में कोई 30 साल की सेवा पूरी कर चुका आईपीएस अधिकारी नहीं था। ऐसे में यूपीएससी ने डीजीपी के लिए इस नियम को बदलते हुए सेवाकाल संबंधी अर्हता को 25 वर्ष कर दिया था। इस नए नियम के दायरे में प्रदेश कैडर के कुल सात अपर पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारी आए थे। इनका नाम यूपीएससी के पैनल में भेजने पर चर्चाएं हो रही थीं। लेकिन, अंतिम समय में सरकार ने इस पैनल को आगे नहीं भेजा। तब से नए डीजीपी के नाम पर असमंजस बना हुआ था। अंतिम समय तक नाम की घोषणा नहीं हुई थी। हालांकि, काफी दिनों से अभिनव कुमार के नाम पर ही मुहर लगने की चर्चाएं चल रही थीं।
अब डीजीपी अशोक कुमार के सेवानिवृत्त होने से ठीक एक दिन पहले एडीजी अभिनव कुमार को कार्यवाहक डीजीपी बनाए जाने की घोषणा की गई है। प्रदेश में अब तक सभी 11 डीजीपी यूपीएससी के माध्यम से ही चुनकर आए थे। कार्यवाहक डीजीपी की व्यवस्था पहली बार की गई है। गृह विभाग के आदेश के अनुसार अग्रिम आदेशों तक उन्हीं के पास डीजीपी का अतिरिक्त पदभार रहेगा। अब आमचुनाव भी होने हैं। ऐसे में देखने वाली बात यह है कि यहां कोई पूर्ण डीजीपी आएंगे या फिर 2024 के आमचुनावों में भी कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी कार्यवाहक डीजीपी के पास ही रहेगी।