नैनीतालः वर्ष 2016 में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने पीसीएस परीक्षा आयोजित की। इसके बाद आयोग ने पीसीएस परीक्षा का आयोजन नहीं किया। सरकार और राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा पीसीएस परीक्षा का आयोजन नहीं किये जाने पर मामला हाई कोर्ट पहुंचा। जहां कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ एवं न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने राज्य सरकार और राज्य लोक सेवा आयोग को परीक्षा न कराये जाने पर आडे हाथ लिया और तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा।
युवा नेता और राज्य आंदोलनकारी रवींद्र जुगरान ने राज्य में पीसीएस परीक्षा के आयोजन न किये जाने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। याचिका में जुगरान ने कहा कि वर्ष 2002 में सरकार ने तय किया था कि वह हर साल राज्य लोक सेवा आयोग को अफसरों के पदों की रिक्तियों का अधियाचन भेजेगा। लेकिन राज्य बनने के दो दशक बाद तक राज्य लोक सेवा आयोग ने सिर्फ छह परीक्षाएं हीं आयोजित की।
याचिका में बताया गया कि राज्य में बड़े पैमाने पर अधिकारियों के पद रिक्त हैं। एक अफसर पर कई-कई जिम्मेदारियां हैं। इससे सरकारी कामकाज प्रभावित हो रहा है। पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार और राज्य लोक सेवा आयोग को तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।