उत्तराखंड के जंगलों में वनाग्नि ‘आउट ऑफ कंट्रोल’, अब तक 256 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र स्वाहा

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उत्तराखंड में इस बार सर्दी के सीजन से ही जंगल धधक रहे हैं। वहीं बारिश न पड़ने से जंगल की आग ज्यादा भड़क रही है। आपको बता दें कि पिछले साल 2023 में 12 अप्रैल तक वनाग्नि की 156 घटनाएं हुई थीं, जिससे 214 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ था, जबकि इस साल अब तक 245 घटनाओं में 256 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित हो चुका है।

इस कारण बढ़ रही हैं वनाग्रनि

वन विभाग के अधिकारी इस बार जंगलों के ज्यादा सुलगने की वजह तापमान में वृद्धि और आड़ा फुकान (खरपतवार जलाना) को मान रहे हैं। उनका कहना है कि तमाम क्षेत्रों में सिविल क्षेत्र से आरक्षित वन क्षेत्र में आग पहुंच रही है। जंगलों में आग की एक अन्य वजह शहद के लिए जंगलों में जाकर मधुमक्खी का छत्ता काटना है। दरअसल, जंगलों से लगे आसपास के गांवों के लोग जंगलों में जाकर मधुमक्खी का छत्ता काटते हैं। इसके लिए आग जलाकर छत्ते पर धुआं लगाया जाता है। छत्ता काटने के लिए जलाई गई आग जंगल में छोड़ने से जंगल में आग भड़क जाती है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि विभाग की ओर से जंगलों की आग बुझाने के लिए सूचना मिलते ही विभाग की टीम को मौके पर भेजा जा रहा है।

पिछले 24 घंटे में 25 जगह धधके जंगल

उत्तराखंड में पिछले 24 घंटे में जंगल में आग की 25 घटनाएं सामने आई हैं। वन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, गढ़वाल में 16 और कुमाऊं में सात जगह आग की घटनाएं हुईं, जबकि दो घटनाएं वन्य जीव क्षेत्र की हैं। जिससे 25 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, गढ़वाल मंडल में बदरीनाथ वन प्रभाग क्षेत्र में सबसे अधिक 14 घटनाएं हुई हैं। वहीं, राजाजी टाइगर रिजर्व में आग की दो घटनाएं दर्ज की गई है।

प्रदेश में एक नवंबर 2023 से 12 अप्रैल 2024 तक वनाग्नि के मामले

वर्ष                   घटनाएं             प्रभावित क्षेत्र हेक्टेयर में

2022             446                 593.19

2023             156                  214.2

2024             245               256.57

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