देहरादूनः प्रदेश के आपदा प्रभावित गांव अब सुरक्षित स्थान पर बसाये जायेंगे। सरकार की मंशा है कि इन गांवों को वन भूमि पर बसाया जायेगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसके लिए जिलाधिकारियों के साथ समीक्षा की। आपदा प्रबंधन की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि पहाड़ के आपदा प्रभावित गांवों को वन भूमि पर बसाया जायेगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि वन भूमि के उपयोग के लिए भारत सरकार को प्रस्ताव भेजें।
विस्थापित गांवों की सूची तैयार करें डीएम
सीएम रावत ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि वे अपने जनपद में विस्तापित होने वाले गांवों की सूची भी बनायें साथ ही इन गांवों के लिए भूमि बैंक भी बनाये। मुख्यमंत्री ने इस दौरान अधिकारियों को कहा कि आपदा में मारे गए लोगों के परिजनों को तीन दिन के अंदर मुआवजा दिया जाय। उन्होने कहा कि आपदा के कारण जिन लोगों को अन्य स्थानों पर भेजा जा रहा है, उनके रहने और खाने की सही व्यवस्था की जाए।
395 गांवों पर आपदा की मार
आपदा प्रबंधन की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में अभी तक 395 गांव आपदा संवेदनशील हैं। जिसमें से 54 गांव तो ऐसे हैं जिन्हें तुरंत विस्थापन की जरूरत है। 26 गांवों के विस्थापन के लिए 26 करोड़ रुपये जारी हुए हैं। इस मामले को लेकर आयुक्त कुमाऊं मंडल की अध्यक्षता में एक समिति भी गठित है।
पैसे की कमी नहींः सीएम
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि आपदा मद में जिलाधिकारियों को 103 करोड़ रुपये दिए गए हैं। इसके अलावा 5-5 लाख रुपये उन्हें अतिरिक्त दिए गए हैं। केंद्र सरकार ने आपदा मद में करीब 468 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। आपदा से संबंधित काम के लिए अन्य विभागों को 189 करोड़ रुपये दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार आपदा प्रभावितों के हितों के लिए हर समय तत्पर है। जल्द आपदा के लिहाज से संवेदनशील गांवों को विस्थापित किया जायेगा।
समय पर मिल रहा मुआवजा
आपदा प्रबंधन अधिकारियों का कहना है कि आपदा में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को तीन दिन में मुआवजा दिया जा रहा है। मुआवजे को लेकर कहीं से कोई शिकायत भी अभी तक सामने नहीं आई है। पुनर्वास के तहत भवन निर्माण के लिए प्रति परिवार चार लाख रुपये, भूूमि सुधार और गौशाला निर्माण के लिए 15-15 हजार रुपये, विस्थापन भत्ता दस हजार, स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के लिए 28 हजार रुपये दिया जाता है।