उत्तराखंड में जंगल की आग अब बेकाबू होने लगी है। शुक्रवार को जंगलों की आग और भड़क गई। 24 घंटे के भीतर वनाग्नि की 64 घटनाएं सामने आई हैं। वहीं, आग लगने से जंगलों में धुआं फैलने लगा है। उत्तरकाशी, श्रीनगर सहित क्षेत्र के आसपास के जंगलों में लगी आग के कारण घाटी में धुआं फैलने से लोग खासे परेशान हैं, जबकि जंगलों की राख लोगों के घरों तक पहुंच रही है।
एक हजार 86 हेक्टेयर जंगल अब तक खाक
वन विभाग के अनुसार, उत्तराखंड में गुरुगुवार दोपहर बाद से शुक्रवार दोपहर बाद चार बजे तक 24 घंटे में वनाग्नि की 64 घटनाएं दर्ज की गईं। इसमें 75 हेक्टेयर जंगल जल गए। उत्तराखंड में इस फायर सीजन में शुक्रवार तक जंगलों में आग की 868 घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं। इसमें 1,086 हेक्टेयर जंगल जल चुका है।
आग से जलकर दो लोगों की मौत
उत्तराखंड में जंगलों की आग से टेंशन कम नहीं हो रही है। आग से जलकर दो लोगों की मौत हो गई है। देवाल में शुक्रवार को आग बुझाने के दौरान एक महिला वनकर्मी पहाड़ी के गिरे पत्थर की चपेट में आकर घायल हो गई। उधर, अल्मोड़ा के ताकुला में गुरुगुवार को जंगल की आग से जले दो और श्रमिकों की शुक्रवार को मौत हो गई। इसी घटना में घायल एक अन्य महिला श्रमिक को ऋषिकेश एम्स रेफर किया गया है। 90 फीसदी जल चुकी महिला श्रमिक की हालत नाजुक बनी हुई है। इसके अलावा, रानीखेत में वलना ग्रामसभा के सैकुड़ा तोक में दो बंद मकानों को चपेट में ले लिया। बागेश्वर में एक मंदिर में रखा छह तोला सोना भी आग की भेंट चढ़ गया। वन अधिकारियों के अनुसार, कुमाऊं के बागेश्वर के गढ़ खेत, दावों के जंगलों मेंलगी आग पूर्वी पिंडर रेंज के लिगड़ी में पहुंच गई है। गुरुवार को अल्मोड़ा जिले में ताकुला के जंगल में आग धधकने से लीसा निकाल रहे नेपाली मजदूर दीपक पुजारा उनकी पत्नी तारा उर्फ शीला पुजारा, ज्ञान बहादुर और उनकी पत्नी पूजा बुरी तरह झुलस गए थे।
जंगल की आग बुझाने वालों का विशेष बीमा
जंगलों की आग बुझानेवालेवनकर्मी और फायर वॉचरों को विशेष जीवन बीमा का लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के निर्देश पर वन विभाग प्रस्ताव बना रहा है। प्रदेशभर मेंकरीब चार हजार फायर वॉचर तैनात हैं। इनमेंसेकिसी के साथ अनहोनी पर मुआवजेया आर्थिक मदद का प्रावधान नहीं है।