जय बाबा रुद्रनाथ के जयघोष के बीच खुले में चतुर्थ केदार रुद्रनाथ के कपाट, 200 श्रद्धालु बनें साक्षी

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पंच केदार में चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर के कपाट आज सुबह 5:00 बजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। मंदिर के कपाट खुलते ही मौके पर करीब 200 तीर्थ यात्रियों ने भगवान रुद्रनाथ के दर्शन किए। मुख्य पुजारी वेद प्रकाश भट्ट ने भगवान रुद्रनाथ का जलाभिषेक किया। इस वर्ष मंदिर की पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी प्रधान पुजारी वेदप्रकाश भट्ट पर है।

यहां होते हैं भगवान शंकर के मुख के दर्शन

उत्तराखंड के पंच केदारों में से एक चतुर्थ केदार रुद्रनाथ, संपूर्ण विश्व में भगवान शिव का एकमात्र ऐसा धाम है, जहां भगवान शिव के मुख के दर्शन होते हैं। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि द्वापर काल में भगवान शिव ने पाण्डवों को यहीं पर अपने मुख के दर्शन दिए थे। यहां पर तभी से भगवान शिव का एकानन रूप के साथ मुखाकृति वाला स्वयंभू शिवलिंग विराजमान हैं। इसके अतिरिक्त नेपाल के पशुपतिनाथ में भगवान शिव के चतुरानन स्वरूप का तथा इंडोनेशिया में पंचानन स्वरूप का शिवलिंग विराजित हैं।

पंच केदार के पीछे पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत युद्ध में अपने ही स्वजनों की हत्या के कारण पांडव गोत्रहत्या के पाप से ग्रसित हो गये थे। गोत्रहत्या के पाप से मुक्ति के लिए भगवान श्री कृष्ण ने पाण्ड़वों को भगवान शिव की शरण में जाकर उन्हें प्रसन्न करने की सलाह दी। श्रीकृष्ण की सलाह पर पाण्ड़व शिव के दर्शन के लिए काशी गए। भगवान शिव महाभारत युद्ध के कारण पाण्ड़वों से नाराज थे और उन्हें दर्शन नही देना चाहते थे। पाण्डवों को अपने समीप आता देख शिव काशी से अंतर्ध्यान होकर हिमालय के केदार क्षेत्र में चले गये। पाण्ड़व भी उनका पीछा करते हुए हिमालय पर पहुँच गये। शिव ने पाण्डवों को अपने पीछे आता देख बैल का रूप धारण कर लिया। भीम ने बैल के रूप में शिव को पहचान दिया। भीम जैसे ही शिव को पकडने लगे शिव जमीन में घुस गये। भीम के द्वारा शिव को पकडने के दौरान बैल रूपी शिव का धड़ वाला भाग भूमि में ऊपर ही रह गया। शिव का धड़ वाला भाग जिस स्थान पर रहा वह प्रथम केदार कहलाया। यही केदार द्वादश ज्येतिर्लिंगों में केदारनाथ के नाम से प्रसिद्ध है। शिव को ढूडंने के क्रम में हिमालय के जिन पांच स्थानों पर पाण्ड़वों को शिव के जिन पांच अंगों के दर्शन हुए वहां पर पाण्ड़वों द्वारा भगवान शिव के मंदिरों की स्थापना की गई। केदार क्षेत्र में स्थित होने के कारण ये स्थान पंच केदार कहलाए।

यह हैं पंच केदार

पंच केदारों में प्रथम केदार, केदारनाथ है जहां सर्वप्रथम पाण्डवों को भगवान शिव के धड़ के दर्शन हुए थे। द्वितीय केदार मध्यमहेश्वर में मध्य भाग(नाभि) के तथा तृतीय केदार तुंगनाथ में भुजा और चतुर्थ केदार रुद्रनाथ में मुख तथा पंचम केदार कल्पेश्वर में शिव की जटा के दर्शन हुए थे।

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