कानूनी पेंचः हरीश रावत को लीगल नोटिस, आखिर क्यों..?

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हरिद्वारः प्रदेश के खांटी कांग्रेसी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को लीगल नोटिस भेजा गया है। यह कानूनी नोटिस अधिवक्ता अरूण भदौरिया ने भेजा है। भदौरिया ने रावत को मुख्यमंत्री रहते हरकी पैड़ी से प्रवाहित गंगा को नहर (स्कैप चैनल) घोषित किये जाने को लेकर नोटिस भेजा है। हरीश रावत को भेजे नोटिस में कहा गया है कि वर्ष 2016 में उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए गंगा की धारा को स्कैप चैनल बताकर करोड़ों हिंदुओं की भावना को ठेस पहुंचाई है। लिहाजा वह सात दिन में हरकी पैड़ी पर आकर क्षमा मांगे। अगर वह क्षमा नहीं मांगते हैं तो उनके खिलाफ न्यायालय में वाद दायर किया जाएगा।

क्या है मामला
दरअसल मुख्यमंत्री रहते हुए हरीश रावत ने हिन्दुओं के पवित्र स्थल हरकी पैड़ी से प्रवाहित होने वाली गंगा की धारा को नहर (स्कैप चैनल) का दर्जा दिया था। जिसका हरिद्वार में साधु-संतों ने खासा विरोध किया था। यहां तक इस संबंध में हरीश सरकार द्वारा लये गये अध्यादेश को समाप्त करने के लिए तीर्थ पुरोहितों ने भी धरना दिया। इसी बीच जिला न्यायालय में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता अरुण भदौरिया ने पूर्व सीएम हरीश रावत को नोटिस भेजकर कहा कि हरकी पौड़ी विश्व के करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र है। नोटिस में उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के इस फैसले से श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है। नोटिस में हरीश रावत से तब के मंत्रिमंडल में शामिल सभी लोगों के साथ हरकी पैड़ी आकर माफी मांगने को कहा गया है। यदि सात दिन की अवधि में वह माफी नहीं मांगते तो संबंधित कोर्ट में उनके खिलाफ वाद दायर किया जाएगा। 

संतों से माफी मांग चुके हैं हरीश
हालांकि हरीश रावत ने इस संबंध में अपनी गलती स्वीकारी है और उन्होंने कुछ समय पहले हरिद्वार पहुंचकर साधु-संतों से बकायदा लिखित में माफी मांगी है। उन्होंने साधु-संतों से माफी मांगते हुए कहा कि सरकार में रहते हुए उन से गलती हुई और वह अपनी इस गलती को स्वीकार करते हैं। इस दौरान उन्होंने कहा था कि उनकी गलती को त्रिवेंद्र सरकार चाहे तो सुधार सकती है। पूर्व सीएम हरीश रावत के बयान के बाद शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कानूनी राय मशविरा लेकर जल्द फैसला लेने की बात कही थी, वहीं त्रिवेन्द्र सरकार ने हिन्दुओं की आस्था को ध्यान में रखकर स्कैप चैनल का नाम बदलकर ‘गंगाधारा’ नाम दिया था।

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