नई दिल्लीः देशभर में आज सिविल सर्विस (प्रारंभिक) परीक्षा का आयोजन कई सेंटरों पर किया गया। देश की इस सबसे बड़ी परीक्षा के लिए 10 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया था। कोरोना काल में हो रही इस परीक्षा को लेकर सेंटरों पर तमाम तरह की सावधानियां बरती गईं। लेकिन संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने प्रश्नपत्र बनाने में बड़ी चूक कर दी। यूपीएससी की इस गलती का खामियाजा अब हिंदी मीडियम के अभ्यर्थियों को भुगतना पड़ सकता है।
दरअसल रविवार को हुई प्रारंभिक परीक्षा के सामान्य अध्ययन-1 के प्रश्नपत्र में हिंदी अनुवाद की गलती देखने को मिली। गांधी-इर्विन समझौते पर इस प्रश्न में अंग्रेजी के ब्पअपस क्पेवइमकपमदबम डवअमउमदज को हिंदी में ‘असहयोग आंदोलन’ लिखा गया है। जबकि इसका सही अनुवाद ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ होगा। संघ लोक सेवा आयोग की इस गलती को लेकर हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों और हिंदी प्रेमियों में भारी नाराजगी है।
एक-एक अंक होता है महत्वपूर्ण
यूपीएससी की परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों का कहना है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में एक-एक अंक का महत्व होता है। सही प्रश्न पर 2 अंक मिलते हैं और गलत होने पर 0.66 मार्क्स कट जाते हैं। इस तरह एक प्रश्न का जवाब गलत होने पर अभ्यर्थी को 2.66 मार्क्स का नुकसान होता है। ऐसे में हिंदी अनुवाद या प्रिंटिंग की गलतियां ना हों इसलिए विशेष सावधानी बरतनी होंगी। वहीं कई छात्रों ने सोशल मीडिया साइट्स पर अपना गुस्सा जाहिर किया और यूपीएससी को जमकर कोसा।