लेफ्टिनेंट जनरल भाटिया ने कहा कि चीन एलएसी पर विवाद कर सिर्फ बॉर्डर के लिए दबाव नहीं डाल रहा है। इसके भौगोलिक और राजनीतिक कारण हैं। चीन को लग रहा है कि भारत और अमेरिका ज्यादा करीब आ रहे हैं और अगर भारत, अमेरिका, जापान और आॉस्ट्रेलिया मिल जाते हैं तो चीन की मुसीबत बढ़ा सकते हैं, इसलिए चीन दबाव डाल रहा है।
नई दिल्लीः चीन क्या भारत के इलाके को हड़पना चाहता है इसलिए लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर बर्बरता दिखा रहा है? जानकारों का मानना है कि यह मामला सिर्फ बॉर्डर का नहीं है बल्कि चीन की मंशा इसके पीछे कुछ और भी है। जहां चीन भारत और अमेरिका की बढ़ती दोस्ती से परेशान है। वहीं उसे इस बात का भी डर है कि भारत ने पीओके को अपने अधिकार में ले लिया तो फिर उसके चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) का क्या होगा। साथ ही जानकारों का यह भी कहना है कि चीन और भारत के पहले के समझौतों के आधार पर एलएसी में शांति रखना अब मुश्किल लग रहा है। इसलिए शांति के अब नए तरीके खोजने होंगे।
ढूंढने होंगे शांति के नए तरीके
डिफेंस एक्सपर्ट लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया (रिटायर्ड) कहते हैं कि सोमवार रात हुई खूनी झड़प ने एलएसी के विचार को ही बदल दिया है। अभी तक यह अस्थिर बॉर्डर थे। लेकिन चीन की हरकतों के बाद यह कंटेस्टेड बॉर्डर हो गए हैं। यानी हर जगह दोनों तरफ के देश अपना दावा जता रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीन और भारत के बीच 1993, 1996 और 2013 जो समझौता हुआ था। उसे अब चुनौती मिली है। अब उस समझौते के आधार पर शांति बनाए रखना मुश्किल है। लेफ्टिनेंट जनरल भाटिया ने कहा कि एलएसी पर शांति के लिए अब नए तरीके ढूंढने होंगे और भारत को अगर शांति कायम रखनी है तो खुद को ताकतवर दिखा कर यह किया जा सकता है। इसके लिए अ्पनी सुरक्षा की तैयारी बढ़ानी पड़ेगी।
- हाइलाइट्स
- भारत-चीन सीमा पर हिंसक झड़प, आखिर क्या चाहता है पड़ोसी मुल्क?
- जानकारों के मुताबिक- यह मामला सिर्फ बॉर्डर का नहीं, चीन की मंशा कुछ और
- क्या भारत और अमेरिका की बढ़ती दोस्ती से परेशान है चीन?
- जानकारों के मुताबिक, पहले के समझौतों के आधार पर LAC में शांति रखना मुश्किल
दबाव की रणनीति
लेफ्टिनेंट जनरल भाटिया ने कहा कि चीन एलएसी पर विवाद कर सिर्फ बॉर्डर के लिए दबाव नहीं डाल रहा है। इसके भौगोलिक और राजनीतिक कारण हैं। चीन को लग रहा है कि भारत और अमेरिका ज्यादा करीब आ रहे हैं और अगर भारत, अमेरिका, जापान और आॉस्ट्रेलिया मिल जाते हैं, तो चीन की मुसीबत बढ़ा सकते हैं। इसलिए चीन दबाव डाल रहा है। चीन को यह भी डर सता रहा है कि भारत अगर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को अपने अधिकार में लेता है तो उसके सीपीईपी का क्या होगा, क्योंकि यह पीओके से होकर गुजरता है।
चीन को जल्दबाजी नहीं
मेजर जनरल हर्ष कक्कड़ (रिटायर्ड) भी मानते हैं कि चीन आर्थिक वजहों से भी ऐसा कर रहा है। आगे क्या हो सकता है पूछने पर उन्होंने कहा कि चीन को यह तो साफ मैसेज मिल गया है कि भारत कतई पीछे नहीं हटेगा और भारतीय सेना अपने इलाके में कायम रहेगी। बातचीत से हल नहीं निकला तो भारतीय सेना को दूसरे तरीके भी आते हैं।
मेजर जनरल कक्कड़ ने कहा कि अभी जून का महीना है और उस इलाके में (ईस्टर्न लद्दाख) लंबी दूरी की पट्रोलिंग (गश्त) और बाहर रहना अक्टूबर-नवंबर तक मुमकिन है। इसलिए चीन को मामला सुलझाने की कोई जल्दबाजी नहीं दिख रही।अगर इस तरह के हिंसक हादसे फिर से ना हों और चीन बातचीत के अनुसार पीछे हटने को तैयार हो जाए तो मामला खत्म हो जाएगा। लेकिन अगर चीन अग्रेसिव बिहेवियर दिखाता है तो मामला बिगड़ सकता है। हालांकि युद्ध होने की स्थिति में भी यह पूरे एलएसी में नहीं होगा, यह सिर्फ लद्दाख के इलाके में हो सकता है जिसके लिए भारतीय सेना पूरी तरह तैयार है।