एजुकेशनः बच्चों को जबरदस्ती नहीं बुलाएंगे स्कूल, हमें सुरक्षा और शिक्षा दोनों की चिंताः डाॅ. निशंक

0

नई दिल्ली: कोविड-19 ने देश में अनेक व्यवस्थाएं छिन्न-भिन्न कर दी हैं। शिक्षा व्यवस्था भी इससे अछूती नहीं रही। छात्र मार्च सेघर बैठकर आॅनलाइन शिक्षा ले रहे हैं और माता-पिता चिंतित हैं। बच्चे प्रमोट होकर अगली कक्षाओं में चले गए हैं, फाइनल ईयर वालों की परीक्षाएं हो चुकी हैं। अब क्या होगा? अभिभावकों के सामने दोहरी चिंता है। पहली अपने पाल्यों के भविष्य को लेकर और दूसरी उनकी सुरक्षा को लेकर। जो चिंता माता-पिता की है, वही सरकार की भी है। सरकार ने संकेत दे दिए हैं कि जल्दी स्कूल खुल जाएंगे, लेकिन देश में बच्चों की सुरक्षा को लेकर बहस छिड़ गयी है। इस बीच केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक ने स्पष्ट कर दिया है कि जबरदस्ती किसी भी बच्चे को स्कूल नहीं बुलाया जाएगा। हमें बच्चे की शिक्षा और सुरक्षा दोनों देखनी है।

असमंजस में स्थिति
मार्च के लगभग अंतिम सप्ताह में लागू हुए लाॅकडाउन के बाद से निजी-सरकारी समस्त शिक्षण संस्थान बंद हैं। छात्र घर बैठने को मजबूर हैं। कुछ छात्रों की परीक्षाएं हो चुकी थीं, लेकिन जिनकी नहीं हुई थीं, उन्हें अगली कक्षाओं में प्रमोट कर दिया था। इसके अलावा कोई विकल्प नहीं था। उन्हें अगली कक्षाओं की पढ़ाई आॅनलाइन कराई जा रही है। विपक्ष के विरोध के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय स्नातक और पीजी अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षाएं कराने में सफल रहा है।

धीरे-धीरे अनलाॅक की प्रक्रिया के तहत सरकार ने छूट देनी आरंभ कर दी है। अब बहुत कम ही पाबंदियां रह गयी हैं। सबसे बड़ा असमंजस और चिंता बच्चों की स्कूल में उपस्थिति को लेकर है। अभिभावक चिंतित हैं कि कोरोना का कहर अभी जारी है, ऐसे में बच्चों को स्कूल भेजना खतरे से खाली नहीं है। स्कूल ऐसा स्थान है, जहां सबसे अधिक भीड़ रहती है। एक बच्चे का संक्रमित होने का मतलब अनेक बच्चे बहुत जल्दी इसकी चपेट में आ सकते हैं। सोशल साइट पर इस विषय में तरह-तरह के विचार आने लगे हैं।

बच्चे स्कूल भेजना, अभिभावकों पर निर्भर
इधर, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ. निशंक का कहना है कि गृहमंत्रालय ने राज्यों को इस बात की छूट दी है के वे अपनी परिस्थितियों को देखते हुए और अभिभावकों और संस्थानों से बातचीत करके 15 अक्टूबर से चरणबद्ध तरीके से स्कूल खोल सकते हैं। गृह मंत्रालय के इस फैसले के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बच्चों की सुरक्षा पर वृहद गाइडलाइंस तय की हैं। इनमें आपस में दूरी बनाना आदि शामिल है।

किसी बच्चे को जबरदस्ती स्कूल नहीं बुलाया जाएगा। यह अभिभावकों की इच्छा पर निर्भर है। स्कूलों में सुरक्षा की सारी जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन की होगी। हम बच्चे की सुरक्षा और शिक्षा दोनों पर गंभीर हैं। डाॅ. निशंक ने राज्यों के शिक्षा मंत्रियों से अनुरोध किया है कि वे अपने स्तर से भी गंभीरता इस मसले को देखें। उन्होंने कहा कि स्कूल भारत सरकार की के दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करें। खासकर वे सीटिंग व्यवस्था में अभिभावकों की सहमति जरूर लें।

Previous articleराजकाजः नई खेल नीति से ग्रामीण प्रतिभाओं को मिलेगा मौका, सीएम ने कैबिनेट में मंगवाया मसौदा
Next articleहेल्प डेस्कः पंचायतीराज विभाग की नई पहल, 70 लाख ग्रामीणों को मिलेगी सुविधा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here