देहरादून: हिन्दी साहित्य के वरिष्ठ कवि व लेखक मंगलेश डबराल का निधन हो गया। 72 वर्षीय डबराल कोरोन से संक्रमित थे। टिहरी गढ़वाल के काफलपानी गांव के मूल निवासी डबराल साहित्य क्षेत्र के प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित थे।
देहरादून से शिक्षा ग्रहण करने वाले डबराल समकालीन हिंदी साहित्य के बहुत सम्मानित हस्ताक्षर थे। डबराल ने पैट्रियट हिंदी, प्रतिपक्ष और आसपास में अपनी सेवाएं दी। मध्य प्रदेश कला परिषद, भारत भवन से प्रकाशित त्रैमासिक पूर्वाग्रह में वह सहायक संपादक रहे। उन्होंने जनसत्ता में साहित्यक संपादक पद पर भी काम किया। वह आजकल नेशनल बुक ट्रस्ट से जुड़े हुए थे।
डबराल का सबसे चर्चित कविता संग्रह ‘पहाड़ पर लालटेन’ रहा। इसके अलावा उन्होंने ‘घर का रास्ता’, ‘हम जो देखते हैं’, ‘आवाज भी एक जगह है’, की रचना की। उनकी एक यात्रा डायरी ‘एक बार आयोवा’ है। ‘कवि का अकेलापन’, ‘नये युग में शत्रु’ भी उनकी रचनाएं हैं। उनकी कविताओं का भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेजी, जर्मन, पोल्स्की, बोल्गारी आदि भाषाओं में अनुवाद हुआ। उन्हें वर्ष 2000 में ‘हम जो देखते हैं’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।