उत्तराखंड हाईकोर्ट केदारनाथ आपदा में लापता हुए लोगों की खोज को लेकर सख्त हो गया है। हाईकोर्ट ने वाडिया इंस्टीट्यूट से पूछा कि वह बताये कि केदारनाथ आपदा में लापता शवों की खोज को कौन से वैज्ञानिक तरीके इस्तेमाल किये जा सकते हैं। वर्ष 2013 में केदारनाथ धाम में आई जल प्रलय ने समूची केदारघाटी को तहस-नहस कर दिया था। जिसमें तकरीबन हजारों लोग मारे गये। जिनमें से अभी भी लगभग 4 हजार लोग गायब है।
नैनीतालः नैनीताल हाईकोर्ट ने वर्ष 2013 में आई केदारनाथ आपदा के मामले में सुनवाई के बाद वाडिया इंस्टीट्यूट देहरादून से पूछा है कि आपदा में लापता लोगों के शवों को खोजने के लिए कौन कौन से वैज्ञानिक तरीके इस्तेमाल किए जा सकते हैं। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने मामले में एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
- हाइलाइट्स
- जून 2013 में केदारनाथ में आई थी जल प्रलय
- जल प्रलय में हजारों श्रृद्धालु की हुई मौत
- केदारनाथ आपदा मचाया था भारी तांडव
- आज भी लापता है हजारों लोग
- सरकार ने पास नहीं है स्पष्ट आंकड़े
- हाईकोर्ट ने वाडिया इंस्टिट्यूट से मांगा जवाब
- पूछा किस वैज्ञानिक तकनीक से लापता लोगों को ढूंढा जा सकता है।
मामले के अनुसार दिल्ली निवासी अजय गौतम ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि केदारनाथ में 2013 में आई आपदा के बाद केदार घाटी में से करीब 4200 लोग लापता थे। इनमें से 600 के कंकाल बरामद हो गए थे। याचिका में कहा कि आपदा के बाद आज भी 3600 लोग केदारघाटी में दफन हैं, जिन्हें सरकार निकालने को लेकर कोई कार्य नहीं कर रही है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले और केदारघाटी से शवों को निकलवा कर उनका अंतिम संस्कार करवाए। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने वाडिया इंस्टीट्यूट देहरादून को एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।