टेंशनः चीन-नेपाल की राह पर भूटान, भारतीय किसानों का रोका पानी

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एक ओर चीन से भारत का सीमा विवाद चल रहा है तो दूसरी ओर नेपाल भी भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। लेकिन इसके साथ ही अब हमारा सबसे अहम और खास मित्र राष्ट्र भूटान भी चीन और नेपाल की राह पर निकल पड़़ा है। भूटान ने असम के बक्सा जिले के किसानों का पानी रोक दिया है। बक्सा के किसान भूटान की इस हरकत से बेहद परेशान हैं और सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। 1953 के बाद से ही स्थानीय किसान अपने धानों के खेतों की सिंचाई भूटान से निकलने वाली नदियों के पानी से करते रहे हैं। लेकिन इस बार भूटान ने किसानों का पानी रोक दिया है। जिससे दोनों देश में तनाव की स्थिति पैदा हो सकती है।

गुवाहाटीः भारत के लिए इन दिनों उसके पड़ोसी देश रोज नई मुसीबत खड़ी कर रहे हैं। चीन, नेपाल, पाकिस्तान जैसे देशों से तीन फ्रंटों पर लड़ रहे भारत को अब भूटान ने झटका दिया है। आमतौर पर भारत-भूटान के संबंध मधुर रहे हैं, मगर अब उसने असम के बक्सा जिले के किसानों का पानी रोक दिया है। बक्सा के किसान भूटान की इस हरकत से बेहद परेशान हैं और सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। बक्सा जिले के 26 से ज्यादा गांवों के करीब 6000 किसान सिंचाई के लिए डोंग परियोजना पर ही निर्भर हैं। 1953 के बाद से ही स्थानीय किसान अपने धानों के खेतों की सिंचाई भूटान से निकलने वाली नदियों के पानी से करते रहे हैं।

  • हाइलाइट्स
  • भूटान ने असम के बक्सा जिले में जाने वाला सिंचाई का पानी रोका
  • बक्सा के करीब 6000 किसान सिंचाई के लिए पानी पर थे आश्रित
  • भूटान की इस हरकत के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं बक्सा के किसान

सरकार से की समाधान की मांग
पिछले दो-तीन दिनों से बक्सा के किसान और तमाम सिविल सोसायटी संगठन इसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। सोमवार को प्रदर्शनकारियों ने कई घंटों तक रोंगिया-भूटान सड़क को भी जाम रखा। किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार भूटान के सामने इस मुद्दे को उठाए और इस समस्या का कोई समाधान निकाले।

भूटान की दलील, कोरोना के चलते एंट्री पर रोक
दरअसल हर साल इस सीजन में भारत के किसान भारत-भूटान सीमा पर समद्रूप जोंगखार इलाके में जाते हैं और काला नदी के पानी को अपने खेतों में लाकर सिंचाई करते हैं। इस साल कोरोना वायरस के चलते भूटान ने भारतीय किसानों को एंट्री देने से इनकार कर दिया है। हालांकि किसानों का कहना है कि जब सभी तरह के अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल फॉलो किए जा रहे हैं तो सिंचाई में क्या समस्या है। फिलहाल अभी इस मामले पर राज्य और केंद्र सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

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