बनभूलपुरा में अतिक्रमण पर बुलडोजर एक्शन पर फिलहाल रोक

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हल्द्वानी। बनभूलपुरा रेलवे अतिक्रमण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हजारों लोगों को राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने बनभूलपुरा में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर स्टे दे दिया है। गुरुवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने 78 एकड़ अतिक्रमण मामले में बनभूलपुरा के लोगों को राहत देते हुएकोर्ट ने रेलवे और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दिया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अगली तारीख सात फरवरी तय की गई है। बता दें कि मामले की सुनवाई के दौरान कुछ स्थानीय लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। स्थानीय कांग्रेसी विधायक सुमित हृद्येश और अन्य नेताओं ने भी इन लोगों का साथ दिया।

उत्तराखंड सरकार से जवाब तलब
सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस भेजते हुए उत्तराखंड सरकार ओर रेलवे से इस मामले पर जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि रातों रात आप 50 हजार लोगों को नहीं हटा सकते। यह एक मानवीय मामला है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें कोई व्यावहारिक समाधान ढूंढना होगा। समाधान का ये यह तरीका नहीं है। जमीन की प्रकृति, अधिकारों की प्रकृति, मालिकाना हक की प्रकृति आदि से उत्पन्न होने वाले कई कोण हैं, जिनकी जांच होनी चाहिए। इन्हें हटाने के लिए केवल एक सप्ताह का समय काफी कम है। पहले उनके पुनर्वास पर विचार हो। बता दें कि जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस. ओक की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। अब अगली सुनवाई सात फरवरी को होगी।

जो लोग 50-60 सालों से रह रहे उनका क्या होगा?: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तराखंड सरकार का स्टैंड क्या है इस मामले में? शीर्ष अदालत ने पूछा कि जिन लोगों ने नीलामी में जमीन खरीदी है, उसे आप कैसे डील करेंगे? लोग 50/60 वर्षों से वहां रह रहे हैं। उनके पुनर्वास की कोई योजना तो होनी चाहिए।

स्कूलों-कॉलेजों को इस तरह से नहीं गिरा सकते: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उस जमीन पर आगे कोई निर्माण नहीं होगा। पुनर्वास योजना को ध्यान में रखा जाना चाहिए। ऐसे स्कूल, कॉलेज और अन्य ठोस ढांचे हैं जिन्हें इस तरह नहीं गिराया जा सकता है।

याचिकाकर्ता के वकील ने दी ये दलील
वहीं इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने दलील देते हुए कहा कि प्रभावित होने वाले लोगों का पक्ष पहले भी नहीं सुना गया था और फिर से वही हुआ। हमने राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी। उन्होंने कहा कि ये भी साफ नहीं है कि ये जमीन रेलवे की है। हाईकोर्ट के आदेश में भी कहा गया है कि ये राज्य सरकार की जमीन है। इस फैसले से हजारों लोग प्रभावित होंगे।

क्या है मामला
इस विवाद की शुरुआत उत्तराखंड हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद हुई। इस आदेश में रेलवे स्टेशन से 2.19 किमी दूर तक अतिक्रमण हटाए जाने का फैसला दिया गया। खुद अतिक्रमण हटाने के लिए सात दिन की मोहलत दी गई थी। जारी नोटिस में कहा गया है कि हल्द्वानी रेलवे स्टेशन 82.900 किमी से 80.710 किमी के बीच रेलवे की भूमि पर सभी अनाधिकृत कब्जों को तोड़ा जाएगा। जिसके बाद 20 दिसंबर को उत्तराखंड हाई कोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। इस पर प्रशासन तैयारियों में जुटा है। इस बीच 2 जनवरी को प्रभावितों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए बनभूलपुरा के लोगों के राहत दी है।

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