खतरे की जद में उर्गम घाटी का देवग्राम, अरसे से कर रहा पुनर्वास की आस

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चमोली का जोशीमठ शहर में लगातार जमीन धंसने से लोग खौफजदा हैं। यह हाल केवल जोशीमठ शहर का ही नहीं बल्कि जिले के कई और शहरो- गांवों भी है, जो कई अरसे से भू धंसाव की मार झेल रहे हैं। ऐसा ही एक क्षेत्र जिले की उर्गम घाटी में स्थित देवग्राम ग्राम पंचायत है, जो एक दशक से पुर्नवास का इंतजार कर रहा है।

बता दें कि चमोली जिले में आपदा प्रबंधन विभाग की और से आपदा प्रभावित 52 गांवो को पुर्नवास की सूची में रखा गया है। लेकिन गांवों के पुनर्वास की सुस्त रफ्तार कई गांवों में बड़ी दुर्घटना के संकेत दे रही है। ऐसे में जिले की उर्गम घाटी में स्थित देवग्राम ग्राम पंचायत भी एक दशक से पुर्नवास का इंतजार कर रहा है। लेकिन वर्तमान में आपदा प्रभावितों के पुर्नवास या भूस्खलन की रोकथाम के लिये कोई पुख्ता कार्रवाई नहीं की जा सकी है।

ग्रामीणों के अनुसार वर्ष 2013 में ग्राम पंचायत के निचले हिस्से में बहने वाले नोट गदेरे और कल्पगंगा नदी के कटाव से ग्राम पंचायत के देवग्राम, गीरा और बांसा तोकों में भूस्खलन शुरू हो गया था। लेकिन वर्तमान तक यहां कोई सुरक्षा कार्य न होने से अब यहां देवग्राम के 30, गौरा के 25 और बांसा के 35 परिवार खतरे की जद में आ गये हैं।

देवग्राम के ग्राम प्रधान देवेन्द्र रावत व कल्पक्षेत्र विकास आन्दोलन के सचिव लक्ष्मण सिंह नेगी का कहना है कि ग्राम पंचायत में भूस्खलन सक्रीय होने के बाद से कई बार जिला प्रशासन और शासन से ग्रामीणों के पुर्नवास की मांग की गई है। वहीं मामले में मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज की गई है। लेकिन बावजूद इसके स्थिति जस की तस बनी हुई है। ऐसे ही हालात रहे तो बरसात के समय यहां कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है।

 

 

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