सौगातः ई-ग्रंथालय की सुविधा से लैस हुए उच्च शिक्षण संस्थान, एक क्लिक पर मिलेंगी किताबे

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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज ‘ई-ग्रंथालय’ का लोकार्पण किया। इसके साथ ही अब सूबे के सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में किताबों से संबंधित कोई दिक्कत नहीं होंगी। छात्र-छात्राओं को एक क्लिक पर कोई भी किताब पलक झपकते ही मिल जायेगा। ई-ग्रंथालय की इस अनूठी पहल के पीछे प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत की सोच है। डाॅ. रावत ने उच्च शिक्षा में कई महत्वपूर्ण कार्य किये। उनका पूरा फोकस उच्च शिक्षा के डिजीटलीकरण पर है। इसके लिए उन्होंने 14 सूत्रीय एजेंडा तय किया है। ई-ग्रंथालय की सुविधा भी उनमें से एक है।

देहरादूनः राज्य के शासकीय विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में अब छात्रों को ‘‘ई-ग्रंथालय’’ की सुविधा मिलेगी। सचिवालय में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आज ई-ग्रंथालय का शुभारम्भ किया। प्रदेश के 05 विश्वविद्यालय एवं 104 महाविद्यालय ई-ग्रंथालय से जुड़ चुके हैं। ई-ग्रन्थालय से लाइब्रेरी का मैनेजमेंट सिस्टम डिजिटल प्रारूप पर होगा। इससे शिक्षकों, विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को शिक्षण कार्य में काफी सुगमता होगी।

35 लाख पुस्तकें ऑनलाइन होंगी उपलब्ध
सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को एक पोर्टल से जोड़ा गया है। यदि किसी विश्वविद्यालय या महाविद्यालय में कोई पुस्तक उपलब्ध न हो तो, इनके एक ही पोर्टल पर जुड़ने से ई-ग्रन्थालय के माध्यम से विद्यार्थियों सभी पुस्तकों का अध्ययन करने में सरलता रहेगी। ई-ग्रन्थालय के माध्यम से विद्यार्थियों को 35 लाख पुस्तकें उपलब्ध कराई गई हैं। जिससे ढाई लाख से अधिक छात्र-छात्राएं इससे जुड़ेंगे।

राज्य का प्रत्येक कॉलेज ई-ग्रन्थालय से जुड़ाः धन सिंह
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है, जहां प्रत्येक कॉलेज को ई-ग्रंथालय से जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रावत की घोषणा एवं मार्गदर्शन में विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को ई-ग्रंथालय से जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि यह प्रदेश के लिए गौरव की बात है कि यूजीसी की रैंकिंग के अनुसार उत्तराखण्ड के चार संस्थानों ने टॉप 100 में स्थान पाया है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार के लिए सभी महाविद्यालयों में प्राचार्य के पद भरे गये हैं। विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में 92 प्रतिशत फैकल्टी है। प्रदेश में 877 असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती निकाली गई, जिसमें से 527 असिस्टेंट प्रोफेसर ज्वाइन कर चुके हैं, शेष पदों पर भर्ती प्रक्रिया गतिमान है। लॉकडाउन के दौरान विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों द्वारा आनलाईन शिक्षण का कार्य किया गया। इसके काफी सकारात्मक परिणाम रहे।

प्रतियोगी परीक्षाओं का बने क्वेशन बैंक
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि इस शिक्षा सत्र में विद्यार्थियों के लिए ई-ग्रंथालय बड़ी सौगात है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि ई-ग्रंथालय के माध्यम से प्रतियोगी परीक्षाओं की पिछले 10 वर्षों का क्वेशन बैंक भी उपलब्ध कराया जाय। जिससे उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अच्छा आधार मिल सके। यह समय विद्यार्थियों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है।

कृषि व बागवानी पर डाक्यूमेंट्री भी उपलब्ध हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि, बागवानी और अन्य क्षेत्रों की बच्चों को अच्छी जानकारी प्राप्त हो सके, इसके लिए डाक्यूमेंट्री बनाई जाय। मैदानी जनपदों में लोगों को कृषि एवं बागवानी की अच्छी जानकारी होती है, लेकिन पर्वतीय जनपदों में हमें इस दिशा में विशेष ध्यान देना होगा। प्रदेश में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना प्रारम्भ की गई। इससे लोगों को कैसे अधिक से अधिक फायदा हो सकते है, इस पर भी और प्रयासों की जरूरत है।

तकनीक का अधिकतम उपयोग किया जाए
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि इस समय पूरा विश्व कोविड-19 की महामारी के दौर से गुजर रहा है। हमें समय की मांग के अनुसार तकनीक को बढ़ावा देना होगा। आधुनिक तकनीक के माध्यम से हम आपसी दूरियों को कम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों द्वारा कोविड के दौरान तकनीक के अधिक से अधिक उपयोग करने का सराहनीय प्रयास किया गया है। ई-ग्रंथालय के शुभारम्भ से विद्यार्थियों को समग्र जानकारियां उपलब्ध होंगी। उन्होंने कहा कि इस दिशा में और क्या प्रयास हो सकते हैं, इस दिशा में विचार करने की जरूरत है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार श्री रविन्द्र दत्त, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा डॉ. आनन्द बर्द्धन, सचिव श्री आर. के सुधांशु, श्री अशोक कुमार, श्री विनोद रतूड़ी, अपर सचिव उच्च शिक्षा श्री डॉ. अहमद इकबाल, निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. कुमकुम रौतेला एवं वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं महाविद्यालयों के प्राचार्य जुड़े थे।

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