लद्दाख दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘विस्तावादी’ टिप्पणी पर चीन को खूब मिर्ची लगी है। पीएम के कटाक्ष से चीन तिलमिला उठा और उसके भारत में राजदूत Ji Rong ने कहा कि चीन को विस्तारवादी कहना आधारहीन है। उन्होंने कहा है कि चीन ने सीमा संबंधों को शांतिपूर्ण तरीके से बनाया है और उन्हें दोस्ती में बदला है। दरअसल, पीएम मोदी ने बिना चीन का नाम लिए कहा था कि अब विस्तारवाद का समय नहीं है।
नई दिल्ली: लद्दाख में भारत और चीन सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद भारत चीन से बातचीत करता रहा और ड्रैगन पर्दे के पीछे से अपनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी को लद्दाख में तैनात करता रहा। इसके बाद भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए पहले चीन के 59 ऐप बैन कर दिए और अब लद्दाख से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो-टूक सुनाई है। इससे चीन को बुरी तरह छटपटाहट हो रही है और वह ‘दोस्ती’ का राग अलाप रहा है। भारत में चीन के राजदूत जी रॉन्ग ने कहा है कि वह विस्तारवादी नहीं है।
‘दोस्ताना सहयोग बनाया है’
रॉन्ग ने ट्वीट किया है, ‘ चीन ने अपने 14 में से 12 पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण समझौतों से सीमांकन किया है और जमीन पर सीमा को दोस्ताना सहयोग में बदला है। ऐसा कहना कि चीन विस्तारवादी है, पड़ोसियों के साथ मनगढ़ंत तरीके से विवाद को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना आधारहीन है।’ दरअसल, चीन ने भारत के कई इलाकों पर अपना दावा पहले भी किया है और आज भी कर रहा है। इसी को ध्यान में रखकर पीएम मोदी ने ‘विस्तारवाद’ पर बोला। उन्होंने साफ कर दिया कि विस्तारवादी नीतियों अब नहीं चलेंगी।
लद्दाख में सैनिकों से मिले पीएम
वहीं, पीएम मोदी शुक्रवार सुबह लेह पहुंचे जहां नीमू में आर्मी के कैम्प में सीमा पर चीनी सेना की हरकत पर अपडेट लिया। उन्होंने सेना और आईटीबीपी के जवानों के साथ मुलाकात की और उनका हौसला बढ़ाया। इस दौरान पीएम मोदी के साथ सीडीएस बिपिन रावत और सेना प्रमुख भी मौजूद थे। इसके बाद पीएम मोदी ने लद्दाख पहुंचकर गलवान घाटी में चीन की सैनिकों के साथ लड़ाई में घायल हुए सैनिकों से मुलाकात की।