उत्तराखंड में विकास के नाम पर प्रकृति के साथ जिस तरह से खिलवाड़ किया जा रहा है, उसका जीता जागता उदाहरण जोशीमठ है। केवल जोशीमठ ही नहीं विकास के नाम पर विनाश का दंश प्रदेश के कई और क्षेत्र झेल रहे हैं। जिसको लेकर पर्यावरणविद चिंतित हैं। यही वजह है कि मातृ सदन, हरिद्वार में 12 से 14 फरवरी तक पर्यावरण एवं परिस्थितिकी सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। दो दिवसीय सम्मेलन में देश-विदेश के जानेमाने पर्यावरणविद जोशीमठ, अविरल गंगा और हिमालय पर मंथन करेंगे। किसान नेता भोपाल सिंह चौधरी, एडीआर के प्रदेश समन्वयक स्वामी मुकंद कृष्ण दास और जोशीमठ के पूर्व प्रमुख ठाकुर सिंह राणा ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि सम्मेलन में दक्षिण अफ्रीका के मंत्री परिषद के पूर्व मंत्री नेल्सन मंडेला, जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद, जल पुरुष राजेंद्र सिंह, पूर्व सांसद अवतार सिंह भड़ाना, किसान नेता गुरुनाम चढूनी आदि भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि बेतरतीब निर्माण कार्यों के चलते ही वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा, 2021 में ऋषिगंगा आपदा आई। साथ ही बादल फटने की घटनाएं आम हो गई हैं। जोशीमठ के बाद अब दरारें कर्णप्रयाग, नैनीताल, मसूरी, उत्तरकाशी में भी पहुंचने लगी हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने न तो संतों की सुनी और न ही वैज्ञानिकों की। चारधाम परियोजना के लिए कई हाईपावर कमेटी गठित की गई। लेकिन, इनकी रिपोर्ट को सरकारों ने नहीं माना। सम्मेलन में विकास के नाम पर विनाश पर मंथन होगा। इस दौरान आचार्य नरेशानंद नौटियाल, जोशीमठ प्रभावित एडवोकेट सुरभिशा शाह, समाजसेवी एडवोकेट प्रमिला रावत, देवभूमि भैरव सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप खत्री मौजूद रहे।