हर चुनावी मौसम में महिलाओं के कल्याण के बारे में बड़ी-बड़ी बातें होती हैं। इस साल देश के कुल 9 राज्यों में चुनाव होंगे। इसके अलावा आगामी साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सभी पार्टियां महिला मतदाताओं को लुभाने का प्रयास जरूर करेंगे। अपने-अपने चुनाव घोषणा पत्र में महिला सशक्तिकरण की बातें करेंगे। लेकिन बड़ी विडंबना है कि महिला सशक्तिकरण का नारा देने वाले राजनीतिक दल महिला जनप्रतिनिधियों को मंत्री मंडल में तवज्जो नहीं देते हैं। यह स्थिति तब है जब देश में लगभग आधी आबादी महिलाओं की है। एडीआर के मुताबिक 28 राज्यों व दो केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्री मंडल में महिलाओं की भागीदारी नौ फीसदी ही है।
देश में महिला मंत्रियों की संख्या महज 51
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने वर्तमान मंत्री परिषद के शपथपत्रों के आधार पर बीते दिनों एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक 28 राज्यों व दो केंद्र शासित प्रदेशों के 558 मंत्रियों का विश्लेषण किया गया। इसमें महिला मंत्रियों की संख्या महज 51 है। जबकि पुरुष मंत्रियों की संख्या महिला मंत्रियों की अपेक्षा नौ गुना अधिक यानि 507 है।
नौ विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी शून्य
देश की नौ विधानसभाओं में महिला मंत्रियों की भागीदारी शून्य है। इनमें दिल्ली, अरूणाचल, मिजोरम, नागालैंड, मेघालय, गोवा, हिमाचल महाराष्ट्र और सिक्किम शामिल है। इसके अलावा नौ प्रदेशों में एक-एक ही महिला मंत्री है।
उत्तराखंड में केवल एक महिला को मिली मंत्री की कुर्सी
दिल्ली, हिमाचल सहित नौ विधानसभाओं में तो महिला मंत्रियों की भागीदारी शून्य है। उत्तराखंड में भी नौ में से केवल एक महिला को मंत्री की कुर्सी मिली है।
पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा महिला मंत्री
पश्चिम बंगाल में सर्वाधिक आठ महिलाएं मंत्री हैं। ओडीशा और उत्तर प्रदेश में पांच-पांच महिलाएं मंत्री पद पर विराजमान हैं।