मातृसदन आश्रम में तीन दिवसीय ‘विश्व पर्यावरण सम्मेलन का मंगलवार को समापन हो गया। सम्मेलन के आखिरी दिन सरकार, प्रशासन के निर्णयकर्ताओं की जिम्मेदारी तय की गयी। सम्मेलन में पांच बिंदुओं पर प्रस्ताव पारित किया गया। इस दौरान मांग की गई कि उत्तराखंड में सरकार सभी परियोजनाओं को तत्काल रोके और प्रस्ताव का संज्ञान लें। साथ ही इन्हें नीति निर्धारण में सम्मिलित करें।
मंगलवार को सम्मेलन के आखिरी दिन स्वामी शिवानंद ने बताया कि सम्मेलन में हिमालय, गंगा और जोशीमठ की रक्षा के लिए वृहद् पक्षों पर बुद्धिजीवियों और पर्यावरणविदों ने विचार मंथन किया गया। ‘विश्व पर्यावरण सम्मलेन का उद्देश्य यह तय करना है कि हमें विकास के नाम पर विनाश चाहिए या फिर हमें हमारे पहाड़, नदी और जंगल को बचाने हैं। उन्होंने कहा कि जोशीमठ की घटना प्राकृतिक आपदा नहीं है, सरकार समितियां बनाकर सत्य को छुपाने की कोशिश कर रही है। लेकिन आम जनमानस यह सत्य जानता है।
सम्मलेन में पारित किये गए प्रस्तावों को इस प्रस्तावना संकल्प में संकलित किया गया है जिसका उद्देश्य है कि सरकार इन पहलुओं पर गहनता से विचार के उपरांत इन्हें नीति निर्माण में शामिल करें। इन पहलुओं पर चर्चा हेतु ‘विश्व पर्यावरण सम्मलेन में देश-विदेश से संत, वैज्ञानिक, किसान,विद्यार्थी, आम नागरिक व राजनेता सम्मिलित हुए।