फरवरी में ही चटख धूप गर्मी का एहसास कराने लगी है। ऐसे में आने वाले दिनों में बिजली की खपत बढ़ सकती है। इससे ऊर्जा निगम की चिंता बढ़ाने लगी हैं। वहीं बिजली की कमी के चलते उपभोक्ताओं को कटौती की मार झेलनी पड़ सकती है।
देश में उपजे कोयला और गैस संकट के बीच मांग के सापेक्ष विद्युत उत्पादन नहीं हो पा रहा है। साथ ही उत्तराखंड में स्थित जल विद्युत परियोजनाएं भी नदियों का जल स्तर घटने से क्षमता के अनुरूप उत्पादन नहीं कर पा रही हैं। पिछले माह बिजली के संकट से निपटने के लिए उत्तराखंड ऊर्जा निगम के अधिकारियों ने दिल्ली में केंद्रीय मंत्रालय से गुहार लगाई थी। जिसके बाद ऊर्जा मंत्रालय से डिप्टी सेक्रेटरी अनूप सिंह बिष्ट ने सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथारिटी को निर्देश देकर चार क्षेत्रीय पूल से बिजली आवंटित करने को कहा था। यह 400 मेगावाट बिजली में से 300 मेगावाट बिजली 28 फरवरी के बाद नहीं मिलेगी। जबकि, 100 मेगावाट बिजली 31 मार्च तक मिलती रहेगी। जिसके बाद प्रदेश में बिजली का संकट गहरा सकता है।
हालांकि, बिजली की किल्लत से निपटने के लिए सरकार ने केंद्र से गुहार लगाई है। ऐसे में यदि केंद्र की ओर से अतिरिक्त बिजली मिल जाती है तो प्रदेश के लिए राहत की बात होगी।