टिहरी जिले की ट्राउट मछली की डिमांड उत्तराखंड सहित देशभर में बढ़ती जा रही है। वित्तीय वर्ष में टिहरी जिले में गठित मत्स्य क्लस्टर के माध्यम से काश्तकारों ने करीब 45 टन मछली का विक्रय कर आर्थिक को मजबूत किया है।
मत्स्य विभाग अब जिलेभर में और समूह गठित कर काश्तकारों को मछली उत्पादन के लिए प्रेरित करने में जुटा है। ट्राउट मछली खाने में बहुत स्वादिष्ट और हाई प्रोटीन युक्त होती है। जिस कारण हेटल इंडस्ट्रीज में इसकी जबर्दस्त मांग है। करीब 4 हजार फीट की ऊंचाई पर ट्राउट मछली का पालन/ उत्पादन किया जाता है। इसके लिए तापनान 16 से 15 डिग्री के मध्य और शुद्ध जल होना जरूरी है। मत्स्य विभाग ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपद योजना के तहत पहले चरण में क्लस्टर अधारित तालाब निर्माण कर भिलंगना ब्लॉक में विभिन्न सहकारी समिति के तहत काश्तकारों को मत्स्य पालन के लिए जोड़ा है। विभाग ने विभिन्न सहकारी समितियों के माध्यम से ग्रामीण काश्तकारों को मत्स्य पालन के लिए प्रेरित किया है। अकेले भिलंगना ब्लॉकमें 50 काश्तकार समूह के माध्यम से ट्राउट मछली का उत्पादन कर रहे हैं।
क्या है ट्राउट मछली
ट्राउट फिश एक तरह की खेल मछली है। सरल शब्दों में, जो मछलियां हमे ज्यादा नुकसान नहीं पहुचाती, बल्कि हमारे साथ खेलती हैं, उन्हें खेल मछली कहा जाता है। इस मछली की डिमांड बहुत है, लेकिन सप्लाई सीमित है। इस कारण यह हमेशा महंगे रेट पर बिकती है। उत्तराखंड और हिमाचल में इसका उत्पादन होता है। इसमें कांटे कम होते है जबकि इसका मास पाष्टकता से भरपूर होता है। होटल, रेस्त्रां में ट्राउट की सर्वाधिक मांग है।
ट्राउट उत्पादन के लिए बनाना पड़ता है तालाब
ट्राउट फिश के लिए साफ जल का पक्का तालाब बनाना पड़ता है। इसके लिए विभाग सामान्य वर्ग के नाश्तकार को 40 प्रतिशत जबकि महिला और एससी वर्ग के काश्तकार को 60 प्रतिशत तक सब्सडी देता है। फिलहाल भिलंगना ब्लॉक क्षेत्र में काश्तकारों ने समूह के माध्यम से तालाब बनाए हैं। विभाग की नए वित्तीय वर्ष में और क्षेत्रों को चिन्हित करने की भी योजना है।