मौसम की बेरुखी आने वाले दिनों में ऊर्जा प्रदेश पर भारी पड़ सकती है। लगातार चढ़ रहे तापमान के साथ प्रदेश में बिजली की खपत भी बढ़ने लगी है। जबकि, मांग के सापेक्ष विद्युत उपलब्धता नहीं है। उधर, केंद्रीय पूल से जो विशेष कोटे की 300 मेगावाट बिजली 12 जनवरी से मिल रही है, उसकी मियाद 28 फरवरी को खत्म हो रही है। जिसके चलते प्रदेश में बिजली संकट गहरा सकता है।
केंद्र के साथ धामी सरकार की हाई लेवल मीटिंग
एक ओर जहां पंजाब और दिल्ली से बैंक की बिजली मिलनी बंद हो गई है। वहीं, केंद्र सरकार से भी अतिरिक्त बिजली मिलने को लेकर संशय बना हुआ है। पिछले वर्ष की ही तरह इस बार भी गर्मियों में बिजली की खपत रिकार्ड स्तर पर पहुंचने की आशंका है। ऐसे में मार्च से ही प्रदेश में ऊर्जा संकट गहरा सकता है। ऐसे में राज्य में बिजली संकट गहराने से पहले ही केंद्र सरकार ने गैस आधारित ऊर्जा संयंत्र चलाने के लिए 28 फरवरी को बैठक बुलाई है। अगर इस बैठक में कोई सकारात्मक हल नहीं निकला तो राज्य में बिजली संकट एक मार्च से गहरा सकता है।
बाजार से खरीद रहे बिजली
12 जनवरी से केंद्र सरकार के कोटे से 300 मेगावाट सस्ती बिजली मिलने के बाद यूपीसीएल को रोजाना तीन से चार मिलियन यूनिट बिजली बाजार से खरीदनी पड़ रही है। 28 फरवरी को केंद्र का कोटा खत्म होने से यूपीसीएल पर बोझ बढ़ जाएगा। नतीजतन बाजार से करीब 10 से 12 मिलियन यूनिट बिजली खरीदनी पड़ेगी। राज्य सरकार इस संकट से उबरने की लगातार कोशिश कर रही है मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संबंध में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री को पत्र भेज चुके हैं और इसी सप्ताह वह ऊर्जा मंत्री से मुलाकात भी कर सकते हैं।
उत्तराखंड के दो संयंत्र हैं बंद
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद गैस के दाम बढ़ने से देश के अन्य संयंत्रों की तरह उत्तराखंड के काशीपुर में भी दो संयंत्र बंद पड़े हुए हैं। ये दोनों 321 मेगावाट (एक 214 और दूसरा 107 मेगावाट) केसंयंत्र हैं। अगर यह चलते हैं तो राज्य को बिजली से राहत मिल सकती है।
केंद्र से विशेष बिजली मिलने का फायदा
बाजार में बिजली के दाम : 10 से 12 रुपये प्रति यूनिट
केंद्रीय पूल की बिजली के दाम : 4.50 से 5 रुपये प्रति यूनिट