Maa Purnagiri Mela: सीएम धामी ने किया मां पूर्णागिरि मेला का शुभारंभ, क्षेत्र को दी करोड़ों की विकास योजनाओं की सौगात

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चंपावत। उत्तराखंड के चंपावत में टनकपुर स्थित ऐतिहासिक मां पूर्णागिरि मेले का आगाज आज गुरूवार से हो गया है। मां के जयकारों के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने ठुलीगाड़ प्रवेश द्वार पर फीता काटकर मेले का शुभारंभ किया। इस दौरानअल्मोड़ा- पिथौरागढ़ सांसद अजय टम्टा भी मौजूद रहे। यह मेला तीन माह तक चलेगा। 90 दिनों तक चलने वाले इस मेले में देश के विभिन्न प्रान्तों से दर्शनार्थी मां पूर्णागिरि के दर्शन को पहुचेंगे।

सीएम ने की करोड़ों के विकास कार्यों की घोषणा
इस दौरान पूर्णागिरी मेला आए श्रद्धालुओं का माला पहना सीएम धामी ने स्वागत किया। वहीं इस मौके पर सीएम धामी ने क्षेत्र के लिए करोड़ों के विकास कार्यों की घोषणा की। जिसके तहत मानाखंड कोरिडोर के माध्यम से पूर्णागिरी मेला क्षेत्र का जीर्णोधार किया जाएगा। इसके साथ ही सीएम धामी ने कहा कि सरकार पूर्णागिरी मेले को तीन माह के बजाए वर्ष भर संचालित करने का प्रयास करेगी। बता दें कि उद्घाटन के बाद सीएम शारदा नदी में साहसिक पर्यटन के बढ़ावा देने के लिए राफ्टिंग करने के लिए रवाना हो गए।

ये हैं मंदिर की मान्यता
मंदिर के बारे में पौराणिक मान्यता है कि दक्ष प्रजापति ने एक बार यज्ञ का आयोजन किया। उसमें महादेव के अलावा सारे देवताओं को आमंत्रण भेजा गया। मां उमा पिता द्वारा पति महादेव का ये अपमान नहीं सह सकीं और यज्ञ कुंड में कूदकर प्राणों की आहुति दे दी थी। जैसे ही भगवान शिव को इस बात का पता चला वे क्रोधित हो गए। उन्होंने अपने गणों को दक्ष प्रजापति के यज्ञ को तहस-नहस करने का आदेश दिया। भोलेनाथ, माता सती के शव को देखकर विलाप करने लगे। महादेव के क्रोध को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने चक्र से माता सती पार्वती के शरीर के 64 टुकड़े कर दिये, जिन-जिन जगहों पर माता सती के शरीर का भाग गिरा, वहीं पर शक्ति पीठ स्थापित हुआ। माना जाता है कि पूर्णागिरि शक्ति पीठ स्थल पर सती पार्वती की नाभि गिरी थी।

अत्यंत चमत्कारी व सिद्ध है पूर्णागिरी माता का मंदिर
पूर्णागिरी का मंदिर अन्नपूर्णा शिखर पर 5500 फीट की ऊंचाई पर है। यह स्थान नैनीताल जनपद के पड़ोस में और चंपावत जनपद के टनकपुर से मात्र 17 किलोमीटर की दूरी पर है। प्रतिवर्ष इस शक्तिपीठ की यात्रा करने आस्थावान श्रद्धालु कष्ट सहकर भी यहां आते हैं। “मां वैष्णो देवी” जम्मू के दरबार की तरह पूर्णागिरी दरबार में हर साल लाखों की संख्या में लोग आते हैं।

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