उत्तराखंड में बढ़ाते कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार ने महामारी अधिनियम 1897 में संशोधन कर फेस मास्क और क्वारंटाइन होने जरूरी कर दिया है। इस संशोधन अध्यादेश को राज्य की राज्यपाल बेबी रानी मौर्या ने मंजूरी दे दी है। महामारी अधिनियम 1897 में संशोधन करने वाला उत्तराखंड तीसरा राज्य बन गया है। इससे पहले ओडिशा और केरल ने महामारी अधिनियम 1897 में संशोधन में संशोधन किये।
देहरादूनः उत्तराखंड में फेस मास्क और क्वारंटाइन को जरूरी कर दिया गया है। इसके लिए राज्य सरसकार ने महामारी रोग अधिनियम अध्यादेश 1897 में संशोधन कर किया। जिसे आज राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने मंजूरी दे दी है। अध्यादेश को राज्यपाल की मंजूरी मिलते ही प्रदेश में अब फेस मास्क और क्वारंटाइन नियमों का उल्लंघन किये जाने पर 5000 का जुर्माना या फिर 5 साल की सजा का प्रावधान किया गया है। केरल और ओडिशा के बाद उत्तराखंड तीसरा राज्य बन गया है। जिसने महामारी रोग अधिनियम अध्यादेश 1897 में संशोधन किया।
राज्य सरकार ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि अभी तक एपिडेमिक डिजीज एक्ट 1897 के तहत कम्पाउंडिंग की सुविधा नहीं थी। लेकिन अब संशोधन किये जाने के बाद कोरोना से जुड़े नियमों को सख्ती से लागू किया जा सकेगा। इससे पूर्व केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 22 अप्रैल, 2020 को एपीडेमिक डिजीज एक्ट 1897 (महामारी बीमारी कानून) में नए संशोधन का प्रस्ताव करते हुए एक अध्यादेश को मंजूरी दी थी। संशोधनों के बाद स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने का दोषी पाए जाने पर 6 महीने से लेकर 7 साल तक की कैद शामिल है। इसके अलावा हमले को गैर-जमानती अपराध भी घोषित कर दिया गया है।