चढ़ते पारे के बीच कैसे बुझेगी प्यास! देहरादून में पीने की किल्लत, अब कटेंगे पानी के कनेक्शन

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देहरादून। चढ़ते पारे के बीच पानी की डिमांड इस समय अपने चरम पर पहुंच चुकी है। इसके मुकाबले पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पा रही है। उधर, प्रशासन की ओर से निर्माण कार्यों में पेयजल के इस्तेमाल पर लगी रोक खानापूर्ति नजर आ रही है। जल संस्थान का दावा है कि वह हर रोज पानी की बर्बादी करने वालों के चालान काट रहा है। जबकि, असल में जल संस्थान ने अभी तक एक कार्रवाई नहीं की।

देहरादून में रोज 276 एमएलडी पानी की जरूरत होती है। इसके मुकाबले वह 241 एमएलडी पानी ही लोगों को दे पा रहा है। मसूरी की तलहटी स्थित स्रोतों में पानी घट रहा है। जल संस्थान की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले पांच साल में पानी की उपलब्धता 60 फीसदी घट चुकी है।

पानी की बर्बादी पर पहले नोटिस जारी, अब कनेक्शन कटेंगे

जल संस्थान उत्तर डिवीजन के ईई संजय सिंह मानते हैं कि स्रोत पर पानी की उपलब्धता घट रही है। टैंकर से सप्लाई के पर्याप्त साधन नहीं हैं। एसई-जल संस्थान राजीव सैनी ने बताया कि रोजाना 30 से 40 लोगों को पानी की बर्बादी पर नोटिस थमाए जा रहे हैं। अभी तक दो से तीन सौ तक चालान काटे जा चुके हैं। अब कनेक्शन काटने या दूसरी कार्रवाई जल्द शुरू होगी।

दो योजनाओं से साढ़े 11 एमएलडी ही पानी

जानकारी के अनुसार, बीजापुर और बांदल योजना से भी जल संस्थान को साढ़े 11 एमएलडी ही पानी मिल पा रहा है। जल संस्थान की ओर से निर्माण कार्यों के लिए कारगी ट्रीटमेंट प्लांट से निशुल्क पेयजल उपलब्ध कराने की घोषणा मुख्य महाप्रबंधक नीलिमा गर्ग ने की थी। लेकिन शहर से अधिक दूर होने की वजह से आसानी से कोई कारगी ट्रीटमेंट प्लांट जाना नहीं चाहता। वहीं निजी फिलिंग स्टेशन एवं नर्सरी वाले निजी बोरवेल से प्राप्त पानी को बेचने का काम कर रहे हैं।

बिजली आपूर्ति से प्रभावित हो रही पेयजल सप्लाई
शहर के अनेक हिस्सों में ट्यूबवेल की सीधी सप्लाई पर निर्भर इलाकों में पेयजल सप्लाई के समय बिजली गुल होने से उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। केशव विहार निवासी दीपक मलिक ने बताया कि जैसे ही सप्लाई का समय होता है, उसी समय बत्ती गुल हो जाती है।

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