अंधेरगर्दीः ‘विद्युत कनेक्शन’ है नहीं और विभाग ने थमा दिये बिजली के ‘बिल’

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उमेश भंडारी

चमोली जनपद का सीमांत गांव घेस अपनी कई खूबियों के लिए चर्चित है। लेकिन इस बार घेस अपनी खूबियों के बजाय सरकारी सिस्टम के नकारेपन को लेकर चर्चाओं का केंद्र बना है। दरअसल लम्बे संघर्षों के उपरांत नवम्बर 2018 यानी आजादी के 70 साल बाद घेस में बिजली पहुंचाई गई। इस ऐतिहासिक अवसर के गवाह स्वयं मुख्यमंत्री बने। उन्होंने बिजली का स्विच ऑन कर गांव को बिजली की सौगात दी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह खुद विद्युत विभाग के मुखिया भी हैं। ऐसे में इस ऐतिहासिक उपलब्धि का श्रेय निसंदेश उन्हीं को जाता है। लेकिन डेढ़ वर्ष बाद विभागीय कार्यप्रणाली ने मुख्यमंत्री को न सिर्फ कटघरे में खड़ा कर दिया है बल्कि उनकी ऐतिहासिक उपलब्धि को भी पलीता लगा दिया। जिस बिजली के आने पर घेस के ग्रामीण खासे उत्साहित थे, उसी बिजली ने ऐसा करंट लगाया कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि घरों को रोशन करने वाले विभाग में इतनी अंधेरगर्दी क्यों?

चमोली/देवालः चमोली के सीमांत गांव घेस में जब बिजली पहुंची तो ग्रामीणों ने कहा था कि त्रिवेंद्र रावत को इस रूप में याद रखा जाएगा कि आजादी के 70 साल बाद उन्होंने यहां बिजली पहुंचायी। मुख्यमंत्री ने तब कहा था कि उनकी सरकार सीमांत गांवों के विकास के प्रति संजीदा है, उन्हें पहाड़ और पहाड़ी लोगों की फिक्र है। उन्होंने तब घेस, हिमनी व बलाण गांवों के समुचित विकास की वकालत की। बिना लाग-लपेट जब सीएम अपनी बात ग्रामीणों के बीच रख रहे थे तब ग्रामीणों को लगा कि उनकी फिक्र करने वाला आखिर उन्हें मिल गया। लेकिन डेढ़ साल के भीतर उनकी उम्मीदें गस खाने लगी। जिस बिजली से विकास की इबारद लिखी जानी थी। उसी ने लोगों को झटके देने शुरू कर दिये। विद्युत विभाग की कारगुजारियों से ग्रामीण हैरान और परेशान है, विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर खूब लिखा-पढ़ी की गई, शिकायते हुई लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात रहा।

  • सीमांत गांव घेस में बिजली बिल से परेशान लोग
  • जन प्रतिनिधियों ने विभाग से की शिकायत
  • विलम्ब शुल्क लगाने से ग्रामीणों में नाराजगी
  • विभाग ने बिना कनेक्शन वालों को भेजे बिल
  • आजादी के 70 साल बाद घेस पहुंची थी बिजली
  • वर्ष 2018 में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने दी थी बिजली की सौगात
  • ग्रामीणों की शिकायत पर हरकत में आया विभाग

गजबः बिना कनेक्शन के ‘बिल’
देवाल ब्लाॅक के घेस गांव में सौभाग्य योजना के तहत विद्युतीकरण किया गया था। इस योजना के तहत आजादी के सालों बाद गांव में लाइट तो आई लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर लोग विद्युत कनेक्शन लेने में असमर्थ रहे। ऐसे में पूर्ण विद्युत वितरण गांव में तो हुआ नहीं उल्टे विभाग ने सबके घर बिजली के बिल थमा दिये। जिससे उन लोगों के सामने समस्या खड़ी हो गई, जिन्होंने विद्युत कनेक्शन लिया ही नहीं। बिना कनेक्शन वालों को भी विभाग द्वारा बिल थमाये जाने पर घेस की प्रधान कलावती देवी कहती है कि विद्युत विभाग में भारी अंधेरगर्दी है। विभाग के लोग अपने काम के प्रति लापरवाह हैं। उन्होंने कहा कि इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से कर दी गई है। प्रधान का कहना है कि उन्हेंने इसकी शीघ्र जांच की मांग की है।

कुंदन भंडारी , पूर्व सरपंच

किस बात का ‘विलम्ब शुल्क’..?
वन पंचायत के पूर्व सरपंच कुंदन भंडारी विद्युत विभाग की लापरवाही पर जमकर बरसते हैं। भंडारी कहते हैं कि एक ओर विभाग बिना कनेक्शन वालों को बिल थमा रहा है तो दूसरी ओर विलम्ब अधिभार के नाम पर ग्रामीणों से भारी भरकम बिल वसूल रहा है। भंडारी का आरोप है कि विभाग ने समय पर तो बिल दिये नहीं और अब विलम्ब अधिभार लगा कर बिल जनता पर थोपा जा रहा है। वह कहते हैं कि विभाग की लापरवाही का खामियाजा आखिर ग्रामीण जनता क्यों भुगते। उन्होंने कहा कि विभाग को चाहिए वह इसकी जांच कर नये सिरे से बिल वितरित करे।

निःशुल्क कनेक्शन का शुल्क क्यों..?
विद्युत विभाग की लापरवाही से नाराज स्थानीय लोगों का कहना है कि विभाग ने उन्हें बिल तो थमा दिया लेकिन उनका कनेक्शन किस श्रेणी में है यह तय नहीं है। विभाग अपने मन मुताबिक बिजली का बिल थमा रहा है। ग्रामीणों की इस समस्या पर पूर्व वन सरपंच कुंदन भंडारी का कहना है कि जब गांव में बिजली आई लोग खूब उत्साहित थे। लेकिन विभाग ने जब भारी भरकम बिल थोपे तो कई लोग कनेक्शन काटने की बात कर रहे हैं। उन्होंने विभाग पर आरोप लगाया कि कनेक्शन वितरण में विभाग ने मानकों की अनदेखी की। भंडारी का आरोप है कि योजना के अनुसार प्रत्येक परिवार को विद्युत कनेक्शन मुफ्त में दिये जाने चाहिए थे। लेकिन विभाग एपीएल कार्ड धारक उपभोक्ता से 1000 रूपये और बीपीएल कार्ड धारक से 200 रूपये लेने की बात कर रहा है। जिससे साफ होता है कि विभाग अपनी मनमानी पर उतारू है।

घेस गांव सहित इलाके के अन्य गांवों की विद्युतीकरण से संबंधित समस्याओं को लेकर गांव में शिविर लगाया गया। जिसमें प्रत्येक जनसमस्या को सुना गया और उसका निराकरण कर दिया गया है। अधिकांश लोगों की बिल में अतिरिक्त अधिभार को लेकर शिकायत थी जिसे दूर कर दिया गया है। जहां तक पोल की सपोर्टिंग वायर को पेड़ों से बांधे जाने की बात है वह अस्थाई व्यवस्था थी उसे हटाने के निर्देश दिये गये हैं। क्षेत्र में विद्युत संबंधी व्यवस्था दुरूस्त कर दी गई है। – अतुल कुमार, एसडीओ देवाल (चमोली)

अनियमिताओं का विद्युतीकरण
सीमांत गांव घेस में विद्युतीकरण तो हुआ लेकिन अव्यवस्थाओं के बीच। विभाग को इतनी फुर्सत नहीं कि वह इलाके में हुए विद्युतीकरण का जायजा ले। ग्रामीणों का आरोप है कि वर्षों बाद ही सही उनकी मुराद जरूर पूरी हुई लेकिन विद्युतीकरण में जो लापरवाही हुई उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। घेस की क्षेत्र पंचायत सदस्य रेखा घेसवाल बताती है कि नवम्बर 2018 में मुख्यमंत्री ने हमें बिजली की सौगात जरूर दी लेकिन गांव के कई तोकों में लोग आज भी बिजली से कोसों दूर है। वह कहती है कि विद्युत आपूर्ति में बार-बार बाधाएं आती रहती है। टांसफार्मरों को लेकर विभाग को कई शिकायत की गई, विभाग भी काम चलाऊ व्यवस्था कर अपना पिंड छुडा देता है।

पेड़ों से बंधे पोल के स्पोर्टिंग वायर

पेड़ों से बांधे हैं सपोर्टिंग वायर
विद्युत विभाग की कारगुजारियों को उजागर करते हुए वन पंचायत के पूर्व सरपंच कुंदन भंडारी आरोप लगाते हैं कि विद्युतीकरण में खूब भ्रष्टाचार हुआ है। सरकारी पैसे को ठिकाने लगाने के लिए पेड़ों और उरेडा के पुराने खम्बों का इस्तेमाल किया गया है। भंडारी कहते हैं कि विभाग ने बिजली के पोलों की सपोर्टिंग वायर को पेड़ों से बांध रखा है जो कभी भी हादसे का कारण बन सकते हैं। वह आरोप लगाते हैं कि जब गांव में नई विद्युत लाइने बिछाई गई तो विभाग ने उरेडा के पुराने पोलों का इस्तेमाल क्यों किया। वह आशंका जताते हैं कि कहीं कोई अनहोनी हो गई तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।

ग्राम पंचायत द्वारा प्रेषित शिकायती पत्र

शिकायत हुई तो बुलाई बैठक
घेस में विद्युततीकरण में हुई अनियमिताओं और भारी भरकम बिजली बिलों को लेकर जनप्रतिनिधियों ने विभाग के खिलाफ शिकायत दर्ज की। ग्राम प्रधान कलावती देवी और क्षेत्र पंचायत सदस्य रेखा घेसवाल ने अधिशासी अभियंता चमोली को पत्र लिख कर पूरे प्रकरणों से अवगत कराया। हालांकि विभाग ने गांव में बैठक बुलाई। बैठक में जनता ने विभाग के अधिकारियों के सामने अपना विरोध दर्ज किया। जिस पर विभाग ने जल्द समस्या हल करने का आश्वासन दिया। वहीं ग्रामीणों ने भी विभागीय अधिकारियों को चेताया कि अगर उनकी समस्या हल नहीं हुई तो वह उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे जिसकी जिम्मेदारी विभाग की होगी।

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