डाॅ. वीरेंद्र बर्त्वाल
देहरादून: एनसीईआरटी यानी नेशनल काउंसिल आॅफ एजुकेशनल, रिसर्च एंड ट्रेनिंग। हिंदी में कहें तो राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद। यह परिषद 60 साल की हो चुकी है। 60 वर्षों में किसी कर्मचारी या अधिकारी को सेवानिवृत्त कर दिया जाता है, क्योंकि उसकी क्षमताएं कम होने लगती हैं, लेकिन एनसीआरटी 60 साल बाद न केवल सशक्त हुई है, अपितु उसकी क्षमताएं और जिम्मेदारियां भी बढ़ी हैं। देश के शैक्षिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली इस संस्था की साठवीं वर्षगांठ पर भारत सरकार ने भव्य कार्यक्रम का आयोजन कर अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए उसकी सराहना की। यह भारत का स्वायत्त संस्थान है, जिसकी स्थापना 01 सितंबर, 1961 को संस्थान पंजीयन एक्ट के तहत साहित्य, विज्ञान संबंधी धर्मार्थ संस्था के रूप में की गई थी। नई दिल्ली में अरबिंदों मार्ग में इसका मुख्यालय है। वर्तमान में प्रो. ऋषिकेश सेनापति इसके निदेशक हैं।
NCERT: विद्यालयी शिक्षा का अहम संस्थान
एनसीईआरटी का कार्य विद्यालयी शिक्षा से जुड़े मामलों पर केंद्र और राज्य सरकारों को सलाह देना है। स्कूली शिक्षा से जुड़ी नीतियों पर कार्य करने वाली यह परिषद शिक्षा मंत्रालय एवं समाज कल्याण मंत्रालय को विशेषकर स्कूली शिक्षा के संबंध में परामर्श देती है और नीतियों का निर्माण करती है। शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले रिसर्च में सहयोग प्रदान करना, स्कूली शिक्षा प्रणाली में किए गए परिवर्तन और विकास को लागू करना आदि भी इसके कार्यों मंे शामिल है। एनसीईआरटी की भूमिका देश में शिक्षा से जुड़े लगभग प्रत्येक कार्य में अवश्य रहती है। इस शैक्षिक संस्थान के कार्य करने की भाषा हिंदी, अंग्रेजी तथा उर्दू है। अन्य कई शैक्षणिक संस्थान इसके सहयोगी के रूप में कार्य करते हैं।
नए दौर में NCERT की भूमिका बढ़ी
एनसीईआरटी का एक अहम हिस्सा महिला शिक्षा विभाग यानी दि डिपार्टमेंट आॅफ वुमैन स्टडीज है। यह विभाग महिला शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करता है। यह विभाग इस दिशा में नीतिगत परिवर्तन तथा सलाह का आदान-प्रदान करता है। यह विभाग केंद्र और राज्यों के साथ मिलकर महिला शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करता है। अन्य कई गैरसरकारी संस्थान भी देश के विभिन्न भागों में कार्य करते हुए एनसीईआरटी के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के आलोक में देखें तो एनसीईआरटी की भूमिका और बढ़ गई है। नीति में विद्यालयी शिक्षा में किए गए आमूल-चूल परिवर्तन को लागू करवाने की जिम्मेदारी बहुत हद तक इस संस्थान पर है।
शिक्षकों को नवीन ज्ञान से लैस करना लक्ष्यः निशंक
एनसीईआरटी की स्थापना के 60वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में भारत सरकार की ओर से आयोजित कार्यक्रम में इस परिषद के कार्यों की सराहना और शैक्षिक क्षेत्र में उसकी उपलब्धियों की सराहना की गई। इस अवसर पर एनसीईआरटी को एक और जिम्मेदारी दी गई। एनसीईआरटी और इंडियन साइन लैंग्वेज रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर (आईएसएलआरटीसी) के बीच एक समझौता किया गया। इसके तहत अब हिंदी और अंग्रेजी माध्यम की कक्षा 1 से 12 तक की एनसीईआरटी की सभी पाठ्यपुस्तकों, शिक्षक पुस्तिकाओं तथा अन्य पूरक पाठ्यपुस्तकों एवं संसाधनों को भारतीय सांकेतिक भाषा में परिवर्तित किया जाएगा।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलौत, केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे तथा एनसीईआरटी के निदेशक प्रो. ऋषिकेश सेनापति की मौजूदगी में हुए इस कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक ने एनसीआरटी के अधिकारियों का आह्वान किया कि यह परिषद जिस प्रकार 60 वर्षों से राष्ट्र की अपेक्षाओं पर खरा उतरती आ रही है, उसी प्रकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाए। बिना एनसीईआरटी के इस नीति को अंतिम छोर तक ले जाना असंभव है। शिक्षकों को नवीन ज्ञान से लैस करने में इस परिषद की भूमिका सराहनीय है।