चमोली: राज्य सरकार लाख दावे करे लेकिन पहाड़ में आज भी स्वास्थ्य सुविधा भगवान भरोसे है। बीमार लोगों को आज भी कंधों पर लादा जाता है और अस्पताल पहुंचाया जाता है। ऐसा ही एक मामला चमोली के डुमक गांव का आया है। जहां बर्फबारी के बीच गांव वालों ने बीमार महिला को 16 किमी पैदल चलकर अस्पताल पहुंचाया। इस घटना ने ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार के दावों की पोल खोल कर रख दी।
जोशीमठ विकासखंड के डुमक गांव की विनीता देवी के पेट में दर्द होने से तबीयत बिगड़ी तो ग्रामीणों ने उसे अस्पताल पहुंचाने का निर्णय लिया। बारिश और बर्फबारी के बीच ही कुर्सी की पालकी में बिठाकर बीमार महिला को 16 किमी पैदल चलकर 20 से अधिक ग्रामीणों ने स्यूण बेमरू गांव तक पहुंचाया। यहां से बीमार महिला को वाहन से पीपलकोटी स्थित स्वामी विवेकानंद चिकित्सालय में प्राथमिक उपचार के लिए भर्ती कराया गया। बीमार महिला को अस्पताल पहुंचाने के दौरान रास्ते भर बर्फबारी होती रही, लेकिन ग्रामीणों ने हिम्मत नहीं हारी।
उत्तराखंड के गांवों में स्वास्थ्य और सड़क बुनियादी समस्याएं हैं, लेकिन पृथक राज्य बनने के 20 साल से ज्यादा समय बाद भी स्थिति में बहुत ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। इन्हीं गांवों में एक डुमक गांव है, जिसके लिए सड़क तीस साल पहले स्वीकृत हो चुकी है, परंतु ठेकेदार आधी-अधूरी सड़क को काटकर दो साल से गायब है।