अब आपको दुकानदार या अन्य विक्रेताओं से यह पूछा नहीं पड़ेगा कि पैकेट में कितने पीस हैं? अपना हक जान लीजिए और जब भी किसी सामान का पैकेट खरीदिए तो उसे उलट-पलटकर देख लीजिए कि उसके अंदर पड़े सामान की हरेक पीस कितने की पड़ रही है। दरअसल, सरकार ने सोमवार से यह नियम लागू कर दिया है कि किसी भी पैकेज पर अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) के अलावा प्रति पीस कितनी कीमत है, यह भी बताना होगा।
पैकेज्ड आइटम के लिए नया नियम जान
सरकारी आदेश के मुताबिक, पैकेज्ड आइटम बनाने वालों या विदेश से आयात करने वालों को पैकेजिंग पर एमआरपी के साथ प्रति यूनिट कीमत का खुलासा करना होगा। इस फैसले को लागू करने में देरी हुई है, लेकिन अब सरकार ने इसे लागू कर दिया है। नए नियम के मुताबिक, देश में ही उत्पादन करने वालों और विदेश से मंगाने वालों, दोनों को पैकेजिंग पर निर्माण का महीना और वर्ष भी शामिल करना होगा बता दें कि पहले आयातकों के पास पैकेज पर निर्माण या प्री-पैक्ड या आयात के महीने और वर्ष का उल्लेख करने का विकल्प था। हालांकि, अधिकांश आयातकों ने आयात की तारीख का उल्लेख करना चुना। नए नियम ‘प्री-पैक्ड या इंपोर्टेड’ के महीने और वर्ष का उल्लेख करने के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है।कोई प्रॉडक्ट वास्तव में कितना पुराना है, यह ग्राहकों को सही-सही पता चल पाएगा।
लीटर में हो या मीटर में, सब पर लागू हुआ नया नियम
नए नियम के तहत निर्माताओं और आयातकों को अब क्रमशः एक किलोग्राम या एक लीटर से अधिक वजन वाली वस्तुओं के पैकेज पर यह बताना होगा कि प्रति किलोग्राम या प्रति लीटर उस वस्तु की दर क्या है। इसी तरह, एक किलोग्राम या एक लीटर से कम वजन वाली वस्तुओं के लिए यूनिट मूल्य ग्राम या मिलीलीटर (एमएल) में लिखना पड़ेगा। एक मीटर से अधिक लंबी प्री-पैक्ड वस्तुओं के लिए यूनिट प्राइस प्रति मीटर होगा, जबकि एक मीटर से कम वस्तुओं के लिए यह प्रति सेंटीमीटर होगा। पेंसिल या पेन जैसी कई इकाइयों वाली पैकेज्ड वस्तुओं के मामले में एमआरपी के साथ प्रति पीस कीमत का भी उल्लेख किया जाएगा। एक अधिकारी ने कहा, ‘नए नियम से खरीदारों को सही समझ हो जाएगी कि वो जो प्रॉडक्ट खरीद रहे हैं, वो दरअसल दूसरे ब्रैंड के मुकाबले सस्ता पड़ रहा है या महंगा। कई कंपनियां पहले से ही प्रति पीस कीमत पैकेजिंग पर प्रिंट कर रहे हैं। हालांकि, 1 जनवरी से यह सबके लिए अनिवार्य हो जाएगा। नियमों के अनुसार उल्लंघन पर जुर्माना लगाया जाएगा।’
अप्रैल 2022 से ही होना था लागू
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने पहले नवंबर 2021 में इन बदलावों की घोषणा की थी। उसने नए नियमों को लागू करने की मियाद अप्रैल 2022 रखी थी। हालांकि, इंडस्ट्री के साथ परामर्श करके समय सीमा बढ़ा दी गई ताकि उन्हें जरूरी उपाय करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके। इसके अलावा, मंत्रालय ने दूध, चाय, बिस्किट, खाद्य तेल, आटा, शीतल पेय, पेयजल, शिशु आहार, दालें, अनाज, सीमेंट बैग, ब्रेड और डिटर्जेंट सहित 19 प्रकार की वस्तुओं के लिए पैकेजिंग के लिए ‘निर्दिष्ट मात्रा’ मानदंडों को हटा दिया है। इस कारण निर्माताओं को अब बाजार में बेचे जाने वाले सभी पैकेज्ड आइटम की मात्रा निर्धारित करने की स्वतंत्रता है। अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि यह परिवर्तन उपभोक्ताओं को अधिक मात्रा में खरीदने के लिए मजबूर किए बिना उनकी आवश्यकता के अनुसार मात्रा चुनने का अधिकार देगा। इसी तरह, निर्माताओं को विभिन्न वर्ग के ग्राहकों की जरूरतों के मद्देनजर छोटे-बड़े पैकेट्स बनाने के विकल्प भी मिलेंगे।