देहरादून: उत्तराखंड की सियासत में अंदरखाने काफी कुछ पक रहा है। नेतृत्व परिवर्तन से लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को भी बदले जाने की खबर सियासी फिजाओं में तैर रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत गैरसैंण में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में शामिल होने के बजाय सीधे दिल्ली पहुंच चुके हैं। जहां उनकी मुलाकात राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से होनी है। वहीं दिल्ली से लेकर देहरादून में मुख्यमंत्री बदले जाने की खबर मीडिया में तैर रही है। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, डा. धन सिंह रावत और प्रदेश महामंत्री सुरेश भट्ट का नाम मुख्यमंत्री के संभावित दावेदारों में गिना जा रहा है। वहीं हाईकमान ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को भी दिल्ली बुलाया है। उधर उत्तराखंड से चार मंत्री और दस विधायक दिल्ली पहुंच गये हैं। सूत्रों का कहना है कि कुछ विधायक और मंत्री इस वक्त सांसद अनिल बलूनी के घर पर पहुंच चुके हैं।
वहीं सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की कुर्सी को कोई खतरा नहीं है, लेकिन इस बवंडर को थामने के लिए सतपाल महाराज को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है। वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत को भी हटाये जाने की खबर है। उनकी जगह संगठन में मजबूत पैठ रखने वाले और त्रिवेन्द्र कैबिनेट के तेज तर्रार मंत्री डा. धन सिंह रावत को प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने की संभावना है। सूत्रों का कहना है कि अगर नाराज विधायक पार्टी आलाकमान पर दबाव बनाने में कामयाब रहते हैं तो ऐसी स्थिति में डा. धन सिंह रावत मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे बड़े दावेदार होंगे। जबकि सतपाल महाराज विधायक और संघ नेताओं को सीएम पद पर कतई भी रास नहीं आयेंगे।
वहीं केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर आये दुष्यंत कुमार ने कहा कि इस संदर्भ में निर्णय आलाकमान को लेना है। असंतुष्ट विधायकों का कहना है कि कैबिनेट में तीन पद रिक्त चल रहे हैं। मुख्यमंत्री रावत ने 50 से ज्यादा विभाग खुद के पास रखे हैं, जिस कारण मुख्यमंत्री विधायकों और कार्यकर्ताओं को समय नहीं दे पाते हैं। अल्मोड़ा की बजाय गैरसैण को मंडल बनाया जाना भी नाराजगी का कारण है। इसको लेकर सांसद अजय भट्ट और विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह ने भी नाराजगी जताई है।