कोरोना संक्रमण से ध्यान भटकाने के लिए चीन ने भारत को साॅफ्ट टारगेट चुना और सीमा विवाद में भारत और दुनियां को उलझा दिया। चीन को मामूल था कि अगर वह भारत के साथ सीमा विवाद को तूल देते हैं तो दुनियां का ध्यान संक्रमण फैलाने वाले मुद्दे से भटक जायेगा। लिहाजा चीन ने सीमा पर अतिक्रमण कर गलवान घाटी पर दावा जताया। चीन की नापाक हरकतों के बाद भारत ने इसके बारे में विस्तृत बयान जारी किया है। विदेश मंत्रालय ने गलवान घाटी पर चीन के दावे को खारिज किया और कहा कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के बारे में बढ़ा चढ़ाकर दावा कर रहा है जो भारत को कतई मंजूर नहीं है।
नई दिल्लीः भारत ने गलवान घाटी में चीन की नापाक हरकतों के बारे में विस्तृत बयान जारी किया है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि मई 2020 से चीन की सेना उस इलाके में भारतीय सेना की सामान्य और परंपरागत पेट्रोलिंग में बाधा डाल रही थी। मई के मध्य में चीनी पक्ष ने एलएसी में अतिक्रमण की कोशिश। तब उसे भारत की तरफ से मुहंतोड़ जवाब मिला।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने एक बयान में कहा कि गलवान घाटी को लेकर ऐतिहासिक रूप से स्थिति हमेशा स्प्ष्ट रही है। अब चीनी पक्ष वहां एलएसी के बारे में बढ़ा चढ़ाकर अपना दावा कर रहा है जो हमें कतई मंजूर नहीं है। चीन के दावे पूर्व में उसकी खुद की पोजीशन के अनुरूप नहीं हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय सैनिक भारत और चीन के सीमावर्ती इलाकों में सभी सेक्टरों में एलएसी की स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ हैं। जिसमें गलवान घाटी भी शामिल है। उन्होंने कभी भी एलएसी पार करने की कोशिश नहीं की। भारतीय सैनिक लंबे समय से वहां पेट्रोलिंग कर रहे हैं और इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने का काम भारतीय इलाके में हो रहा है।
पूर्वी लद्दाख सीमा पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले कई दिनों से जारी तनातनी 15 जून की रात हिंसक झड़प में बदल गई थी। इसमें एक कर्नल समेत भारतीय सेना के 20 जवान वीरगति को प्राप्त हुए। चीन को भी इसमें भारी नुकसान हुआ और उसके 43 सैनिक हताहत हुए। लेकिन चीन ने आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि नहीं की है।