CAA Rules Notification: CAA लागू होते ही पुलिस मुस्तैद, इन शहरों में पुलिस की खास नजर

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देश में ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम’ (सीएए) लागू हो गया है। केंद्र सरकार ने देश में नागरिकता संसोधन कानून CAA का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। लोकसभा चुनावों से पहले केंद्र सरकार का यह बड़ा कदम है। इसके तहत अब तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल जाएगी।

उत्तराखंड में अलर्ट 

वहीं सिटीजन एमेंडमेंट ऐक्ट-CAA यानी सीएए का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद उत्तराखंड में अलर्ट कर दिया गया है। पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों में पुलिस और खुफिया एजेंसियों को सतर्क रहने के निर्देश दे दिए हैं। खासकर, मिश्रित आबादी वाले इलाकों के साथ सोशल मीडिया पर 24 घंटे नजर रखने को कहा गया है।
एडीजी-कानून व्यवस्था एपी अंशुमन ने बताया कि सीएए को लेकर काफी पहले से कसरत चल रही थी। इसका नोटिफिकेशन जारी होना भर बाकी था। अब नोटिफिकेशन के बाद सभी जिलों को अलर्ट रहने को कह दिया गया है। हरिद्वार, नैनीताल, यूएसनगर और देहरादून में विशेष सतर्कता बरती जा रही है। इसके लिए संवेदनशील इलाकों में फोर्स की तैनाती और गश्त बढ़ाने को भी कहा गया। हालांकि, कहीं भी ऐसा कोई विरोध या किसी तरह की घटना की आशंका नहीं है।

‘मोदी है तो मुमकिन है’- सीएम धामी

उधर, देश में ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम’ (सीएए) लागू होने पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पीएम मोदी के इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा- ‘मोदी है तो मुमकिन है’। सीएम ने धामी ने एक्स पर मोदी है तो मुमकिन है शीर्षक से पोस्ट लिखी। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों को सुरक्षा व सम्मान देने के के साथ केंद्र सरकार ने देश में सीएए लागू करने का निर्णय लिया है। यह ऐतिहासिक निर्णय है। प्रधानमंत्री का यह कदम राष्ट्रहित में उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति को जाहिर करता है। हमें पूरा विश्वास है कि पीएम के तीसरे कार्यकाल में इसी प्राकर देश को सशक्त करने वाले निर्णय लिए जाते रहेंगे।

क्या है CAA?

CAA के तहत अब मुस्लिम समुदाय को छोड़कर तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाले बाकी धर्मों के लोगों को नागरिकता मिल जाएगी। केंद्र सरकार ने सीएए से संबंधित एक वेब पोर्टल भी तैयार किया है। तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाले रे अल्पसंख्यकों को इस पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा और सरकारी जांच पड़ताल के बाद उन्हें कानून के तहत नागरिकता दी जाएगी। इसके लिए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए विस्थापित अल्पसंख्यकों को कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी।

बता दें कि साल 2019 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने नागरिकता कानून में संसोधन किया था। इसमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 से पहले आने वाले छह अल्पसंख्यकों (ईसाई, सिक्ख, जैन, बौद्ध और पारसी) को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया था। नियमों के मुताबिक नागरिकता देने का अधिकार केंद्र सरकार के हाथों में होगा।

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