मुहिमः रक्षासूत्र बांध कर 500 साल पुराने पीपल को बचाने जुटे लोग

0

उत्तराखंड के लोगों का पर्यावरण के साथ अनोखा नाता रहा है। जल, जंगल और जमीन को लेकर यहां के लोग हमेशा संवेदनशील रहे। पर्यावरण के प्रति जो अनुराग यहां के लोगों ने दिखाया दुनिया में ऐसा उदाहरण कहीं नहीं मिलता। पहाड़ी लोगों के लिए पेड़-पौधे उतने ही महत्पूर्ण हैं जितने उनके बच्चे। सदियों से पहाड़ी लोगों ने पेड़-पौधों को अपने बच्चों की तरह पनपाया। तीज-त्यौहारों पर पहाड़ में पेड़ों को पूजा जाता रहा है। यही वजह है कि पर्यावरण से जुड़े दुनिया के सबसे चर्चित आंदोलनों ने उत्तराखंड की धरती पर जन्म लिया। बात चाहे चिपको आंदोलन की हो, मैती आंदोलन की, रक्षासूत्र आंदोलन की या फिर पाणी रखो आंदोलन की ये सभी आंदोलन उत्तराखंड की कोख से पैदा हुए और दुनिया भर में पर्यावरण बचाने के पर्याय बने। इस बार रूद्रप्रयाग में पीपल को बचाने के लिए लोग सड़कों उतर आये हैं। दरअसल रूद्रप्रयाग की धरोहर कहे जाने वाला 500 साल पुराने पीपल के पेड़ पर ऑल वेदर रोड़ निर्माण के चलते संकट के बादल घिर आये हैं। विकास के नाम पर इस पेड़ की बलि देने का षड़यंत्र है। लेकिन पर्यावरण प्रेमियों ने रक्षासूत्र बांध कर पीपल को बचाने का संकल्प लिया है।

रूद्रप्रयागः सड़क किनारे लगे 500 साल पुराने पीपल की रक्षा के लिए रूद्रप्रयाग एकजुट हो गया है। लोगों ने पेड़ पर रक्षा सूत्र बांधकर उसे बचाने का संकल्प लिया है। पेड़ को बचाने की मुहिम के लिए जन अधिकार मंच ने हुंकार भरी है। मंच का कहना है कि हम पर्यावरण संरक्षण को लेेकर बड़े-बड़े सेमीनार आयोजित करते हैं। बड़े-बड़े दावे और बातें करते हैं और दूसरी ओर विकास के नाम पर चुपके से हरे-भेर पेड़ों की बलि दे देते हैं। आखिर ये कहां का न्याय है। एक ओर पर्यावरण का नारा और दूसरी ओर विकास का आरा कब तक पेड़ों को छलनी करता रहेगा।

जन अधिकार मंच के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने कहा कि रूद्रप्रयाग शहर में ऑल वेदर रोड़ के लिए पीपल के पेड़ को काटने का कोई औचित्य नहीं है। इसको बचाने के लिए सबको आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि पीपल का पेड़ सबसे अधिक आॅक्सीजन छोड़ता है। इसकी हवा और छांव लोगों को सुकून देती है। हमने पेड़ बचाने का संकल्प लिया है।

रामायण काल से पेड़ का नाता
जिला पंचायत सदस्य खांकरा नरेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि पीपल का पेड़ हमारी आस्था से जुडा है। मान्यता है कि हनुमान जी जब संजीवनी लेने द्रोणगिरी पर्वत जा रहे थे। तब उन्होंने इसी स्थान पर विश्राम किया था। लिहाजा इस स्थान पर पीपल के पेड़ का महत्व बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि पीपल न सिर्फ एक पेड़ है बल्कि यह रूद्रप्रयाग की एक धरोहर भी है। जिसे काटा जाना रूद्रप्रयाग के लिए उचित नहीं है।

रूद्रप्रयाग का गहना है पीपल
ज्येष्ठ प्रमुख सुभाष नेगी ने कहा कि रूद्रप्रयाग शहर की शान पीपल का पेड़ रोड़ के लिए नहीं कटना चाहिए। सैकड़ों वर्षों में यह पेड़ तैयार हुआ अगर यह पेड़ नहीं रहेगा तो रूद्र्रप्रयाग शहर की सुंदरता भी खत्म हो जायेगी। यह रूद्रप्रयाग का गहना है जिसे किसी भी कीमत पर कटने नहीं देंगे। उक्रांद के जिला महामंत्री भगत चैहान और लक्ष्मी चंद रमोला का कहना है कि पीपल का पेड़ को काटने का पुरजोर विरोध किया जायेगा। जिस स्थान पर पेड़ काटने की तैयारी है वहां सड़क पर्याप्त चैड़ी है। जिला प्रशासन और लोनिवि हो इस पर रोक लगानी चाहिए। इस दौरान आम आदमी पार्टी के विधानसभा क्षेत्र प्रभारी प्यार सिंह नेगी, भरदार जागरूकता मंच के जिला उपाध्यक्ष गजेंद्र भट्ट, जन अधिकार मंच के जिला उपाध्यक्ष तरूण पंवार ने पीपल के पेड़ काटे जाने का विरोध किया।

डीएम से पूछा कहां है विकास..?
वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला ने सोशल साइट पर अपनी पोस्ट के माध्यम से जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग से पीपल के पेड़ काटे जाने और विकास को लेकर सवाल खड़े किये। उन्होंने कहा कि डीएम साहिबा, जरा विचारिए? पिथौरागढ़ से लेकर रुद्रप्रयाग में क्या समानता है? समानता है प्रकृति और प्राकृतिक संसाधन। समानता है कि पिथौरागढ़ के लोग भी हाशिए पर हैं और रुद्रप्रयाग के भी। वहां भी विकास नहीं हुआ और यहां भी विकास नहीं। उन्होंने सवाल किया कि चारधाम महामार्ग के लिए शासन ने 25 हजार पेड़ों के कत्ल की अनुमति ली थी और एक लाख काट डाले। आखिर इसकी इजाजत किसने दी।

जखमोला ने सवाल उठाया कि जब रुद्रप्रयाग की आबादी बढ़ रही थी तो सड़क के बाईपास से निकलने की जरूरत थी। तब क्यों नहीं सोचा? ये पीपल का पेड़ तब नजर क्यों नहीं आया होगा? यानी प्रशासन की खामियां थी और अब प्रशासन की आंखों में यह पेड़ चुभ रहा है। क्यों? आपकी गलती की सजा इस पेड़ को क्यों? नियोजित प्लानिंग होती तो सड़क भी चैड़ी होती और कथित विकास भी होता, लेकिन अब इस पेड़ की हत्या का कोई औचित्य नहंी है। प्लीज आप अपने निकम्मे प्रशासन और खामियांयुक्त नीतियों की सजा इस पेड़ को न दें और इसका कत्ल होने से रोक लें।

Previous articleउम्मीदः शुरू हो सकती है चारधाम यात्रा, जल्द फैसले के मूड में सरकार
Next articleहाय रे मुहब्बतः तीन समलैंगिक किशोरियों में आपसी विवाद, एक झील में कूदी

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here